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साइकिल रिक्शा को नहीं मिल रही सवारियां, कर रहे मालढुलाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सभी की जरूरत समझा जाने वाला साइकिल रिक्शा अब धीरे-धीरे कम होते जा रहा हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में अब इसे सवारियां नसीब नहीं हो रही हैं। अब नौबत यह है कि परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है। परिणाम स्वरूप अब कुछ रिक्शा चालकों ने मालढुलाई का काम शुरू कर दिया है, जिसकी बदौलत वह अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। जानकारों की माने तो वर्ष 2010 में नागपुर शहर में एक हजार से ज्यादा रिक्शा थे, वहीं अब 300 से भी कम रिक्शे बचे हैं।
स्टार बस चलने से लोगों ने किया रिक्शा से किनारा
शहर में स्टार बस चलने से लोग रिक्शा से किनारा करने लगे। मानेवाड़ा चौक के फुटपाथ पर रिक्शा लगाकर सवारियों का इंतजार कर रहे बाबूराव पाटील ने बताया कि वह गत 30 वर्षों से रिक्शा चला रहा है। एक समय ऐसा था, कि उन्हें खाना खाने की फुर्सत नहीं थी, लेकिन अब दिन निकल जाता है, पर सवारी नहीं मिलती है। मेडिकल चौक में खड़े दीपक नामक रिक्शा चालक ने बताया कि वह अब रिक्शा से सवारियों को नहीं लेकर जाते, क्योंकि सवारी मिली भी तो ठीक से किराया नहीं दिया जाता है। ऐसी स्थिति में किसी दुकान या घर का सामान लाने-ले जाने काम कर रहे हैं।
साइकल रिक्शाचालकों नहीं मिलती सवारी
इतना ही नहीं बैटरी से चलने वाले छोटे ऑटो कम कीमत में पास का सफर पूरा करने का खास माध्यम बन गए है। एक इलाके से दूसरे इलाके में जाने बैटरी चलित वाहन दूसरे ऑटो की जगह लेते जा रहे हैंं। जिसमेंं कम से कम दो से चार सवारी आसानी से बैठ जाती है। बैटरी से चेलने के कारण पेट्रोल की बढ़ती घटती कीमतों का उनपर असर नहीं होता। दस से बीस रूपए में एक सवारी अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है। वहीं साइकल रिक्शा की बात करें तो उनके मेहनताने पर भी असर पड़ा है। सवारी साइकल रिक्शाचालक को कम रुपए ऑफर करती है। जिससे अक्सर साइकल रिक्शाचालकों को मायूसी का सामना करना पड़ता है।
Created On :   18 March 2018 4:14 PM IST