फडणवीस पर बड़ा आरोप, मराठा आरक्षण पर लोगों को किया भ्रमित- चव्हाण

Big charge on Fadnavis, confusing people on Maratha reservation- Chavan
फडणवीस पर बड़ा आरोप, मराठा आरक्षण पर लोगों को किया भ्रमित- चव्हाण
फडणवीस पर बड़ा आरोप, मराठा आरक्षण पर लोगों को किया भ्रमित- चव्हाण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण को रद्द करने के फैसले के बाद प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री तथा राज्य मंत्रिमंडल की मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अधिकार नहीं होने के बावजूद फडणवीस ने मराठा आरक्षण को लागू करके विधानमंडल और जनता को भ्रमित किया है। चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के आदेश में कहा है कि 102 वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों को आरक्षण देने का अधिकार नहीं बचा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस सरकार के आरक्षण को फैसले को रद्द किया है। ऐसे में मराठा आरक्षण रद्द होने के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार जिम्मेदार कैसे हो गई?

बुधवार को मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की। इसके बाद राज्य अथितिगृह सह्याद्री में सरकार का पक्ष रखने के लिए तीन मंत्री मीडिया के सामने आए। पत्रकारों से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार ने102 वें संविधान संशोधन को 14 अगस्त 2018 को किया। इसके बाद फडणवीस सरकार ने 30 नवंबर 2018 को गायकवाड समिति की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज को आरक्षण देने का फैसला किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि 102 वें संविधान संशोधन में राज्यों को आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। चव्हाण ने कहा कि फडणवीस अब कह रहे हैं कि मराठा आरक्षण कानून पहले से था भाजपा सरकार ने केवल उसका विस्तार किया था। लेकिन उसी मराठा आरक्षण कानून में स्पष्ट है कि नया कानून लागू होने के बाद पुराना कानून अपने आप रद्द हो जाता है। 

चव्हाण ने कहा कि तमिलनाडू समेत 7 से 8 राज्यों में आरक्षण का फैसला 102 वें संविधान संशोधन से पहले किया गया था लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण का फैसला संविधान संशोधन के बाद लिया गया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के फैसले को अस्वीकार किया है। चव्हाण ने कहा कि संसद की संसदीय समिति के सामने यह मुद्दा उठा था कि 102 वें संविधान संशोधन के बाद राज्य के पास आरक्षण का अधिकार होगा अथवा नहीं। इस पर केंद्र सरकार के मंत्री ने कहा था कि राज्यों का अधिकार बरकरार है। इसलिए अब केंद्र सरकार को यह सिद्ध करना है। चव्हाण ने कहा कि विपक्ष के नेता फडणवीस को लोगों के सामने सच्चाई रखनी चाहिए। कोई जनता को भड़काने का काम न करे। 

राज्य सरकार आरक्षण की सिफारिश केंद्र को भेजेगी

चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आरक्षण के लिए किसी विशेष जाति को अधिसूचित करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। इसलिए राज्य सरकार की ओर से मराठा आरक्षण के लिए केंद्र सरकार के पास सिफारिश भेजेगी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इस सिफारिश का अध्ययन करने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजे। इसके बाद राष्ट्रपति उस पर अंतिम फैसला करेंगे।चव्हाण ने कहा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई अभी खत्म नहीं है। सरकार कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। 

केंद्र सरकार तत्काल पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करे- मलिक

प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार आरक्षण के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पास सिफारिश भेज सकती है। इसके आधार पर राज्य सरकार मराठा आरक्षण के लिए सिफारिश भेजेगी लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन नहीं किया है। इसलिए केंद्र सरकार को तत्काल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि फडणवीस और भाजपा पहले दिन से मराठा आरक्षण के विरोध में थे। मराठा आरक्षण के खिलाफ जो लोग सुप्रीम कोर्ट में गए हैं वह सभी भाजपा के गैंग के लोग हैं। 

Created On :   5 May 2021 6:37 PM IST

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