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हौसला ऐसा की नाप लेंगे समुंदर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चंद्रकांत चावरे। कामगार कल्याण केंद्र रघुजीनगर का विशालकाय स्विमिंग टैंक। दिन निकलते ही यहां पांच साल से 70 साल की आयु तक के सैंकड़ों लोग तैराकी के लिए आते हैं। इन्हीं में शुमार होता है उन बच्चों का जो दिव्यांग और मतिमंद होते हैं। ऐसे 20 बच्चे यहां हर रोज तैराकी के लिए आते हैं। इन्हें तैराकी का गुर सिखाने के लिए यहां एक विशेषज्ञ कोच है। संजय बाटवे नामक यह कोच पिछले 22 साल से तैराकी सिखा रहे हैं।
वे शारीरिक रूप से सामान्य बच्चों के साथ ही असामान्य बच्चों का स्विमिंग सिखाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए अलग से बैच है। असामान्य बच्चों को स्विमिंग सिखाना आसान काम नहीं है। इसलिए यह जिम्मेदारी कोई उठाता नहीं है। नागपुर में तैराकी सिखाने वाले 25 से अधिक विशेषज्ञ कोच हैं लेकिन असामान्य बच्चों को सिखाने की जिम्मेदारी संजय ने उठायी है। एक घटना के बाद उन्हें लगा कि तैराकी से असामान्य बच्चों में बदलाव हो सकता है। इसलिए उन्होंने असामान्य बच्चों को स्विमिंग सिखाने को प्राथमिकता दी है।
ऐसे हुई शुरुआत
8 साल पहले संजय के मित्र रवि कावडे की बेटी नागपुर में पढ़ने के लिए आयी थी। एक दिन संजय उनके घर गया। वहां देखा कि एक मतिमंद बच्चा था। परिजन उसे बार-बार भीतर ले जाते, वह बार-बार बाहर आ जाता। पता चला वह रवि का बेटा है। मित्र को सुझाव दिया कि बेटे को स्विमिंग के लिए भेजो। उस बच्चे का नाम अमन था। पहले दिन उसे पानी में तैरते-खेलते बच्चे दिखाए। अगले दिन उसे पानी में उतारा। वह अपनी जान बचाने के लिए हाथ-पैर हिलाने लगा। पता चला कि उसका दिमाग काम करता है।
इसके बाद उसे क्रमवार सिखाना शुरू किया। छह महीने में उसका आत्मविश्वास पूरी तरह जागा। वह पानी में तैरने लगा। अभी उसको दिशा का ज्ञान नहीं था। एक दिन उसे अंबाझरी तालाब ले गए। वहां पहले से सामान्य बच्चे तैर रहे थे। उन्हें देख अमन में भी उत्साह जागा। उसे फोल्टर लगाकर तालाब में उतारा। थोड़ी दूर तक तैरने के बाद वह किनारे आ जाता था। ऐसा कई बार किया। संजय को विश्वास हुआ कि वह अब बड़े तालाब में तैर सकता है। इसके बाद अमन की तैयारी समुद्र में तैराकी के लिए की गई। इसके लिए उसके माता-पिता की मंजूरी ली।
मम्मी ने बेटे को समुद्र में उतारने से इनकार किया
अब तक अमन मानसिक रूप से समझदार होने लगा था। अमन को सिंधुदुर्ग जिले के मालवण में स्थित चिवला बीच ले गए। उसकी मम्मी भी साथ में थीं। यहां स्पर्धा थी। हजारों तैराक थे। विशाल समुद्र को देखकर समय पर अमन की मम्मी ने बेटे को समुद्र में उतारने से इनकार कर दिया। तब वहां दोनों पैरों से दिव्यांग को रेंगते हुए स्पर्धा में भाग लेने वाले एक अधेड़ तैराक दिखायी दिया। संजय ने अमन की मम्मी को वह दृष्य दिखाया। तब वह राजी हुईं।
तीन किलोमीटर की स्पर्धा के लिए अमन समेत कुछ स्पर्धकों को समुद्र के बीच तीन किलोमीटर की दूरी पर ले जाया गया। बोट आंखों से आेझल होते ही अमन की मम्मी की धड़कनें तेज हुईं। चंद मिनटों के बाद सभी स्पर्धक किनारे पहुंचने लगे, लेकिन अमन नहीं आया। मां की आंखों से आंसू निकल आए। दरअसल अमन दिशा भूल गया था। वह दो किलोमीटर और आगे निकल गया था। थोड़ी देर बाद वह किनारे पहुंचा। इस तरह वह पांच किलोमीटर तैरकर लौटा। लौटते ही मां के साथ लिपट गया। तब मां को विश्वास हुआ कि उसका अमन असामान्य हीरो है। अमन अभी दसवीं कक्षा का छात्र है।
हौसलें इधर भी हैं बुलंद
14 साल की शश्रृति नाकाडे अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण उसके सपने पूरे नहीं हो पा रहे। 2012 में जरीपटका में आर्टिफिशियल फुट का शिविर हुआ था। वहां उसे बताया गया कि वह स्विमिंग कर सकती है। इसलिए 2013 में उसने कामगार कल्याण में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। वहां विक्रम भोसले, राजू बोरकर व संभाजी भोसले के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। इस समय वह कोलकाता के चूचूरा में प्रशिक्षण ले रही है। उसे गो स्पोर्ट फाउंडेशन की स्कॉलरशिप मिलती है। वहां अर्जुन अवार्ड प्राप्त गोल्ड मैडेलिस्ट प्रशांत कर्माकर उसके कोच हैं। 2013 से 2016 तक परिजनों की मदद से वह प्रशिक्षण लेती रही।
इस दौरान उसने बेलगांव, जयपुर व उदयपुर में हुई नेशनल स्पर्धा में हिस्सा लिया। बेलगांव में 3 गोल्ड, एक सिल्वर, जयपुर में 4 गोल्ड, उदयपुर में 3 गोल्ड मेडल प्राप्त किये हैं। इसके अलावा टीम के लिए भी गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते हैं। 2017 में एशियन यूथ पैरालिम्पिक गेम्स में हिस्सा लेने के लिए दुबई में प्रवेश परीक्षा हुई थी। इसकी तैयारी शुरू है। इसके अलावा वह 2020 में होने वाले पैराओलिंपिक में भी हिस्सा लेना चाहती है। हाल ही में उसे एशियन्स गेम्स की प्रवेश प्रक्रिया के लिए जर्मनी से बुलावा आया है। यहां स्वखर्च से जाना है। करीब 3 लाख रुपए का अनुमानित खर्च है लेकिन खेल मंत्रालय और स्थानीय स्तर पर कोई मदद नहीं मिल रही। शश्रृति ने अनेक स्पर्धाओं में भाग लेकर शहर और देश का नाम रोशन किया है।
Created On :   13 May 2018 6:55 PM IST