पंजाब की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी कृषि कानून के खिलाफ पारित होगा विधेयक

‌Bill will be pass against the agricultural law in Maharashtra on the lines of Punjab
पंजाब की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी कृषि कानून के खिलाफ पारित होगा विधेयक
पंजाब की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी कृषि कानून के खिलाफ पारित होगा विधेयक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश कांग्रेस चाहती है कि कांग्रेस शासित राज्यों पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तर्ज पर केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ महाराष्ट्र में भी कानून बनाया जाए। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष व राज्य के राजस्वमंत्री बालासाहेब थोरात ने कहा कि इसके लिए जल्द ही मंत्रिमंडल की समिति गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में हरितक्रांति आई और कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ था। लेकिन मौजूदा सरकार किसान हितैषी नहीं है। मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कृषि कानून के खिलाफ जुटाए गए 60 लाख हस्ताक्षर पार्टी प्रभारी एचके पाटील को सौंपा गया। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थोरात ने कहा कि महाराष्ट्र में केंद्रीय कृषि कानून लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध जारी रहेगा। कृषि कानून के खिलाफ पार्टी देशभर में आंदोलन कर रही है।

कृषि कानून के खिलाफ भाजपा ने जुटाए 60 लाख हस्ताक्षर

कृषि कानून का विरोध कर रही कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने इसके खिलाफ करीब 60 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाए हैं। थोरात ने बताया कि कृषि कानून रद्द करने के लिए कांग्रेस ने देशभर में 2 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का अभियान शुरू किया है। 2 अक्टूबर से कृषि कानून के खिलाफ राज्यभर में सभाएं आयोजित कर किसानों के हस्ताक्षर लिए गए और राज्य के हर जिले में ट्रॅक्टर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं, पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों का कृषि कानून विरोधी रुख देश को नई दिशा देगा।

पहले समर्थन, अब विरोध में शिवसेना

महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है, जहां संसद में कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से पहले ही कानून लागू हो गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने जून के पहले सप्ताह में ही कृषि कानून में सुधार के लिए अध्यादेश जारी किया था। इसी अध्यादेश के तहत महाराष्ट्र  मार्केटिंग विभाग ने 7 अगस्त को राज्य के मार्केटिंग निदेशक को मंडियों में नए कानून लागू करने का आदेश जारी कर दिया था। उसके बाद मार्केटिंग निदेशक सतीश सोनी ने 10 अगस्त को सभी मंडियों को आदेश जारी कर दिया था कि राज्य में प्रस्तावित कृषि कानून के तीनों अधिनियमों को सख्ती से लागू किया जाए। लेकिन, संसद में कांग्रेस की ओर से कृषि कानून का विरोध शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए नए कानून के अमल पर रोक लगा दी। पहले कृषि कानून का समर्थन करने वाली शिवसेना अब अपने मित्र दल कांग्रेस के दबाव में पूरी तरह से कृषि कानून के खिलाफ है।
 

Created On :   17 Nov 2020 12:59 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story