नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की जल्दी में नहीं है भाजपा

BJP in no hurry to make Nitish Kumar Vice President
नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की जल्दी में नहीं है भाजपा
सौदा फायदे का नहीं नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की जल्दी में नहीं है भाजपा

डिजिटल डेस्क, अजीत कुमार, नई दिल्ली। चार राज्यों में शानदार जीत के बाद भाजपा अब बिहार में भी अपना मुख्यमंत्री बनाने की कवायद में जुट गई है। इसी क्रम में पिछले दिनों यह चर्चा तेज रही कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं। मतलब यह कि सियासी समझौते के तहत भाजपा नीतीश कुमार को सम्मानजनक एक्जिट के रूप में उपराष्ट्रपति बनवाएगी और इसके बदले बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा अब नीतीश को उपराष्ट्रपति निवास भेजने की जल्दी में नहीं है। दरअसल भाजपा के रणनीतिकारों को यह सौदा फायदे का नहीं दिख रहा है। लिहाजा यह मसला ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया है। 

बिहार बालिका गृह: सीबीआई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ जांच करने का  आदेश

दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद देने को लेकर है हिचक 

सूत्र बताते हैं कि नीतीश के साथ इस सियासी सौदे को लेकर भाजपा दो तरह से आशंकित है। पहला देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद नीतीश जैसे चतुर राजनेता को सौंपने को लेकर भाजपा असहज है। हाल ही में नीतीश ने बिहार विधानसभा में जिस तरह विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को बिना वजह धमकाया, उसके बाद भाजपा का उन पर भरोसा और डिगा है। चूंकि देश का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है, लिहाजा राज्यसभा में विधेयकों को पारित कराने और कई मौकों पर सरकार को संभावित किरकिरी से बचाने में उसकी अहम भूमिका रहती है। ऐसे में नीतीश बाबू को लेकर भाजपा की हिचक कायम है।

bihar ki taza khabar bjp jdu alliance can part ways anytime says former jdu  mla shyam bahadur singh tarkishore show his pain - क्या कभी भी टूट सकता है  एनडीए गठबंधन! जेडीयू

 

नीतीश के दिल्ली आने पर जदयू में टूट का खतरा!

दूसरी बड़ी वजह नीतीश के दिल्ली आने पर उनकी पार्टी जदयू में टूट का खतरा है। भाजपा का मानना है कि यदि जदयू में बड़ी टूट हुई और इस भगदड़ में एक बड़ा खेमा राजद की ओर गया तो भाजपा का मुख्यमंत्री का गणित उलझ सकता है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में वैसे भी जदयू धीरे-धीरे भाजपामय होते जा रहा है। जदयू के कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में हैं। बिहार में भाजपा न केवल सीट के लिहाज से, बल्कि वोट बैंक के लिहाज से भी जदयू से बड़ी पार्टी बन गई है। कभी नीतीश कुमार के साथ रहने वाला अति पिछड़ा वर्ग और दलित वोटबैंक पिछले चुनाव में भाजपा के साथ आ गया है। लिहाजा भाजपा ‘वेट एंड वाच’ की रणनीति पर काम कर रही है।
 

Created On :   14 April 2022 7:18 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story