ब्लैक फंगस... आफत में मरीज, छिंदवाड़ा में इलाज नहीं, भोपाल में बेड के लिए तरस रहे

 ब्लैक फंगस... आफत में मरीज, छिंदवाड़ा में इलाज नहीं, भोपाल में बेड के लिए तरस रहे
 ब्लैक फंगस... आफत में मरीज, छिंदवाड़ा में इलाज नहीं, भोपाल में बेड के लिए तरस रहे

इलाज के लिए भटकते रहे, गाड़ी में गुजारी रात, दूसरे दिन गुरुवार को मिला बेड
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा
। ब्लैक फंगस की बीमारी से जूझ रहे मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने की वजह से आफत में है। छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज में इलाज की सुविधाएं नहीं है। चिकित्सक उन्हें भोपाल एम्स रेफर कर रहे है। भोपाल पहुंचने पर मरीजों को इलाज तो दूर की बात बेड तक नहीं मिल पा रहा है। बुधवार को जिला अस्पताल से मरीज लेकर पहुंचे परिजन पूरा दिन भोपाल एम्स में बेड के लिए भटकते रहे। आखिरकार बेड नहीं मिला तो मरीज और परिवार के सदस्यों ने पूरी रात गाड़ी में ही काटी। गुरुवार को जनप्रतिनिधि के हस्तक्षेप के बाद जैसे-तैसे बेड की व्यवस्था हुई और मरीज का इलाज शुरू हो पाया। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि उनकी एक आंख में तेजी से संक्रमण फैला है। अभी तक आइसोलेशन वार्ड से 9 और एक मरीज कोविड यूनिट से भोपाल रेफर किया गया है।
आश्चर्य में डॉक्टर... कोरोना हुआ नहीं, फिर भी ब्लैक फंगस का संक्रमण-
मरीज 45 वर्षीय घनश्याम बॉक्सर के भाई धनराज बॉक्सर ने बताया कि उनके भाई घनश्याम को कोरोना नहीं हुआ था। बीती 14 अप्रैल को भाई घनश्याम को लकवा लगा था। इसका इलाज निजी डॉक्टर से कराया जा रहा था। उसी वक्त से घनश्याम को आंखों में दिक्कत है। ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देने पर जिला अस्पताल से उन्हें भोपाल रेफर किया गया है। घनश्याम के प्रकरण में भोपाल के डॉक्टर भी आश्चर्यचकित है। अब वे यह गुत्थी सुलझाने में लगे है कि मरीज को ब्लैक फंगस किन कारणों से हुआ है।    
मेडिकल कॉलेज में नहीं है इलाज की सुविधा-
प्रदेशस्तर से ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भोपाल, इंदौर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेज को चिन्हित किया है। इस वजह से छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज में इंजेक्शन या इलाज से जुड़ी जरुरी दवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। हालांकि यहां मरीजों की जांच के लिए एक टीम जरुर बनाई गई है।
जिला अस्पताल से एक और मरीज रेफर-
जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोऑपरेटिव बैंक कॉलोनी निवासी बुजुर्ग महिला को बुधवार रात भोपाल रेफर किया गया है। इन्हें मंगलवार को ही चिकित्सकों ने भोपाल जाने की सलाह दे दी थी, लेकिन परिजनों ने इनकार कर दिया था। इस मरीज के रेफर होने के बाद अब आइसोलेशन वार्ड खाली हो चुका है।
 

Created On :   28 May 2021 11:46 AM GMT

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