ब्लैक फंगस - दो सैकड़ा सर्जरी, अभी भी 16 एक्टिव केस

Black fungus - two hundred surgeries, still 16 active cases
ब्लैक फंगस - दो सैकड़ा सर्जरी, अभी भी 16 एक्टिव केस
उपलब्धि - सरकारी क्षेत्र में सबसे ज्यादा सर्जरी करने वाले अस्पतालों में से एक रहा जबलपुर मेडिकल कॉलेज ब्लैक फंगस - दो सैकड़ा सर्जरी, अभी भी 16 एक्टिव केस

डिजिटल डेस्क जबलपुर । समय के साथ कोरोना और ब्लैक फंगस का खौफ कम हुआ है। कोरोना के नए मरीजों की संख्या बेहद कम है, वहीं ब्लैक फंगस के मामले भी तेजी से घट गए हैं। मेडिकल कॉलेज में बनाए गए म्यूकोरमाइसिस वार्ड में फिलहाल 16 मरीजों का इलाज चल रहा है। जानकारी के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्पताल में अब तक ब्लैक फंगस से पीडि़त 230 मरीज सामने आ चुके हैं, इसमें से 195 (20 अक्टूबर तक) की सर्जरी की गई है। कुछ मामलों में तो ब्लैक फंगस दाँतों से जबड़ों तक फैल गया था, जिसके बाद मरीज की जान बचाने जबड़े को सर्जरी कर निकाल दिया गया। इसके अलावा नेजल एंडोस्कोपी के जरिए भी आँख के पीछे के संक्रमण को हटाया गया। ऐसा माना जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज सरकारी क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में इस तरह के ऑपरेशन करने वाले अव्वल अस्पतालों में से है। हाल ही में जयपुर के आरयूएचएस कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस ने 125 सर्जरी कर देश में ब्लैक फंगस के सर्वाधिक ऑपरेशन करने का दावा किया था, जबकि मेडिकल कॉलेज जबलपुर में कुछ ही दिनों में सर्जरी का आँकड़ा 200 पर पहुँच जाएगा। 
दूसरी लहर के बाद अब तक सामने आए 230 मरीज
पोस्ट कोविड इफैक्ट के रूप में आया सामने 6 कोरोना की दूसरी लहर के बाद पोस्ट कोविड इफैक्ट के रूप में ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी के रूप में सामने आया। वार्ड प्रभारी और ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा के अनुसार कई गंभीर मामलों में मरीजों के जबड़े निकाले गए हैं, ताकि संक्रमण को रोककर जान बचाई जा सके। अब तक 195 सर्जरी हुई हैं उनमें से  करीब 70 ऐसी रही हैं जिनमें से किसी में ऊपर और किसी में नीचे का जबड़ा निकाला गया। ब्लैक फंगस के संक्रमण से उबरने के बाद ऐसे मरीज कृत्रिम जबड़े लगाकर सामान्य जीवन जी सकते हैं। सबसे ज्यादा सर्जरी किस सरकारी अस्पताल में हुईं, इसके आँकड़े तो नहीं हैं, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं हम सबसे ज्यादा सर्जरी करने वाले अस्पतालों में से हैं। 
पहले कोविड, फिर ब्लैक फंगस से लड़े 6 ब्लैक फंगस से जूझने वाले मरीजों की पीड़ा बयाँ करना आसान नहीं है। पहले कोरोना से जंग जीती और फिर ब्लैक फंगस से लड़े। गंभीर मामलों में जान बचाने के लिए जबड़ा भी निकालना पड़ा। जब संक्रमण पीक पर था, तब एम्फोटेरेसिन-बी जैसे इंजेक्शन की किल्लत भी झेली। मरीजों के साथ परिजनों ने भी इस त्रासदी का सामना किया। मेडिकल में ब्लैक फंगस से पीडि़त 40 मरीजों ने जान गँवाई है।  


 

Created On :   23 Oct 2021 3:16 PM IST

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