पत्नी को घर में हिस्सेदारी से वंचित करने बेटे के नाम फ्लैट करने वाले पिता को हाईकोर्ट का झटका

Bombay high court father son wife family issue property share
पत्नी को घर में हिस्सेदारी से वंचित करने बेटे के नाम फ्लैट करने वाले पिता को हाईकोर्ट का झटका
पत्नी को घर में हिस्सेदारी से वंचित करने बेटे के नाम फ्लैट करने वाले पिता को हाईकोर्ट का झटका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पत्नी को घर की हिस्सेदारी से वंचित रखने के लिए फ्लैट अपने बेटे को उपहार स्वरुप देनेवाले पति को बॉम्बे हाईकोर्ट ने झटका दिया है। हाईकोर्ट ने न सिर्फ अदालत की अनुमति के बिना फ्लैट बेचने पर रोक लगाई है बल्कि पत्नी को दिए जानेवाले गुजारेभत्ते की रकम को 20 हजार से बढाकर 55 हजार कर दिया है। 

न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने पाया कि पति ने जिस दिन (29 अगस्त 2012) अपने बेटे को फ्लैट उपहार दिया था उसी दिन बेटे से फ्लैट को बेचने के संबंध में ‘पावर आफ अटार्नी’ भी ले ली थी। इससे पहले पत्नी ने पारिवारिक अदालत से आग्रह किया था कि उसके पति को तीन  करोड़ रुपए से अधिक की कीमत वाले फ्लैट बेचने से रोका जाए। लेकिन पारिवारिक अदालत ने पत्नी के इस आग्रह को अस्वीकार कर दिया।

निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की। याचिका में पत्नी ने दावा किया कि उसके पति की अच्छी आमदनी है। उसने नौकरी छोड़कर अपनी खुद की कंपनी शुरु की है। इसके अलावा मेरे घर के अधिकार को समाप्त करने के इरादे से फ्लैट को उसने मेरे वयस्क बेटे को उपहार स्वरुप दे दिया। जिस दिन पति ने बेटे को फ्लैट उपहार मे दिया उसी दिन उसने फ्लैट को बेचने को के लिए बेटे से ‘पावर आफ अटार्नी’ भी हासिल कर ली। वहीं पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि बेटे के पास कोई अचल संपत्ति नहीं थी इसलिए मेरे मुवक्किल ने फ्लैट बेटे को उपहार में दिया है। जहां तक बात गुजारा भत्ते की है, तो पारिवारिक अदालत ने इस मामल में सही निर्णय दिया है। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद व पति के आय से जुड़े दस्तावेजों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि पति के पास अच्छी खासी रकम है। उसने म्यूचल फंड में भी मोटी रकम निवेश की है। यहीं नहीं उसने फ्लैट को किराए पर देकर अच्छी खासी रकम हासिल की है। लिहाजा खंडपीठ ने गुजारे भत्ते की रकम 20 हजार रुपए से बढाकर 55 हजार कर दिया। और फ्लैट में पत्नी के अधिकार को सुरक्षित करने के उद्देश्य से पत्नी की ओर से की गई अपील के प्रलंबित रहते पति को फ्लैट बेचने से रोक दिया। खंडपीठ ने साफ किया कि अदालत की अनुमति के बिना फ्लैट को न बेचा जाए।

Created On :   21 Aug 2019 2:04 PM GMT

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