रिफूजी बीज के इस्तेमाल से कपास की फसलों पर फिर मिली बोंड इल्ली

Bond Worm found on cotton crops using Rifuji seed
रिफूजी बीज के इस्तेमाल से कपास की फसलों पर फिर मिली बोंड इल्ली
रिफूजी बीज के इस्तेमाल से कपास की फसलों पर फिर मिली बोंड इल्ली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले वर्ष किसानों को सबसे ज्यादा जिस बोंड इल्ली ने नुकसान पहुंचाया, वह फिर सक्रिय हो गई है। खासकर जिन कपास उत्पादक किसानों ने रिफूजी बीज का इस्तेमाल किया है, उनके खेतों में फसलों पर गुलाबी बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव देखा गया है। कृषि विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। यह जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने त्वरित इस पर नियंत्रण करने के निर्देश जारी किए हैं। 

विदर्भ में कपास की फसलों पर पिछले साल बड़े पैमाने पर गुलाबी बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव नजर आया था। बोंड इल्ली के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। बड़े पैमाने पर फसलें बर्बाद हुई थीं। इसे लेकर महाराष्ट्र विधानमंडल के नागपुर शीतकालीन अधिवेशन 2017 में राज्य सरकार ने किसानों के लिए बड़े पैमाने पर मदद घोषित की थी। हालांकि मानसून सत्र तक अनेक किसानों तक यह मदद नहीं पहुंचने का खुलासा हुआ था।

जिसे लेकर विपक्ष का आक्रामक तरीके से विरोध जताया था। इसे देखते हुए सरकार ने इस बार कपास फसलों पर बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव रोकने के लिए पहले से कदम उठाए थे। किसानों को इसके लिए प्रशिक्षण तक दिया गया था। कितनी मात्रा में खाद-बीज का इस्तेमाल करें और क्या करें और क्या नहीं, यह तक बताया गया था। बोंड इल्ली से बचने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दिसंबर से पहले किसानों को अपनी फसल काटने का आह्वान किया था। इन सबके बावजूद बोंड इल्ली का संकट नहीं टला है।

खुलासा हुआ कि जिन किसानों ने बीज कंपनी मार्फत दिए गए रिफूजी बीज का इस्तेमाल किया है, उनके खेतों में गुलाबी बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव नजर आया है। यह खबर मिलते ही प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया है। जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने तुरंत नियंत्रण करने के लिए आदेश जारी किए हैं। 

जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में कपास पर गुलाबी बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव नजर आ रहा है। क्रॉपसैप योजना द्वारा किसानों को बोंड इल्ली से बचाव के लिए मार्गदर्शन किया जा रहा है, लेकिन प्रादुर्भाव कम नहीं हो रहा है। ऐसे में किसानों को सांघिक एकात्मिक उपाययोजना पर जोर देने का आह्वान किया गया है। बोंड इल्ली पर नियंत्रण करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलाधिकारी स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। जिसमें प्रत्येक अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गई है। इसके अलावा किसानों को खेतों में खाद और बीज कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना है और उसके साथ क्या मिलना है, इसके लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

विदर्भ में गत वर्ष कीटनाशक छिड़काव करते समय किसानों की बड़े पैमाने पर मृत्यु हुई है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। किसानों को कीटनाशक छिड़काव करते समय सुरक्षित कपड़े, पूरी आस्तिन वाले शर्ट, बूट, हाथमोजे, नाक पर मास्क या रुमाल बांधने, आंख पर चष्मा लगाकर दवा का छिड़काव करने का आह्वान जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने किया है।  

Created On :   19 Aug 2018 5:05 PM IST

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