कर्ज लेकर पति का इलाज कराने आई, नहीं बचा पाई जान

Came to get husbands treatment with debt, could not save life
कर्ज लेकर पति का इलाज कराने आई, नहीं बचा पाई जान
नागपुर कर्ज लेकर पति का इलाज कराने आई, नहीं बचा पाई जान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक महिला अपने पति को 88 किलोमीटर दूर से सरकारी अस्पताल में इस उम्मीद से आई कि उसके पति की जान बच जाएगी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था और उसके पति की मौत हो गई। महिला के साथ साथ उसके दो बच्चे भी आए थे। आर्थिक तंगहाली से ग्रस्त जैसे-तैसे पैसे का जुगाड़ कर वह यहां तक पहुंची थी। लेकिन पति को बचा नहीं पाई। रोती-बिलखती महिला के पास न तो पति का शव ले जाने के लिए पैसे थे, न ही यहां अंत्येष्टि करने कोई साथ में था। ऐसे में एक संस्था ने इस महिला को संबल दिया। संस्था ने शव की अंत्येष्टि कर अस्थियों के साथ परिवार को उसके गांव भेजने में मदद की। इतना ही नहीं, इस परिवार को ऑनलाइन 5000 रुपए भी भेजे, ताकि आगे की क्रियाविधि पूरी कर सके।

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं

महेश आचारी का काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। बेटा आठवीं तक पढ़ने के बाद स्कूल छोड़ एक दुकान में काम करता है। बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ रही है। आर्थिक हालत ठीक नहीं है। ये लोग पांढुर्णा से उधार पैसे लेकर महेश का उपचार कराने आए थे। एंबुलेंस, दवा व अन्य खर्च के बाद उनके पास एक रुपया भी नहीं था। उनकी स्थिति जानने के बाद मेडिकल के एक डॉक्टर ने इस परिवार की जानकारी सेवा फाउंडेशन नामक संस्था को दी। तब संस्था के पदाधिकारियों ने वहां पहुंचकर महेश के परिजनों को समझा कर यहीं मोक्षधाम दहन घाट पर अत्येष्टि कराई। 

संस्था ने परिजनों को सौंपीं अस्थियां

अब इस परिवार के सामने पांढुर्णा लौटकर बाकी की क्रियाविधि करने की समस्या थी। इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे। संस्था ने उन्हें कुछ रुपए देकर पांढुर्णा रवाना किया। इस घटना की जानकारी गरिमा बियाणी नामक कॉलेजियन युवती को मिली। इस युवती ने अपने पॉकेटमनी से जमा 30 हजार रुपए संस्था को दान दिए। इसमें से 5000 रुपए कोकिला राठोड़ को ऑनलाइन भेजे गए, ताकि उसे आगे की क्रियाविधि करने के लिए किसी से उधार न लेना पड़े।

Created On :   7 Nov 2021 5:20 PM IST

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