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वंदेमातरम और राष्ट्रगीत पर भी हो सकता है कापीराइट ? - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुराने व परंपरागत लोकगीतों को नए तरीके से पेश करना क्या कॉपीराईट से जुड़े नियमों का उल्लंघन करता है? और इसे लेकर क्या आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है। बांबे हाईकोर्ट जल्द ही इस विषय को तय कर अपना फैसला सुनाएगी। हाईकोर्ट में एक गीतकार व दो प्रकाशकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। तीनों ने याचिका में खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
गीतकार प्रमोद सूर्या ने मरवाडी व गुजराती समुदाय के शादी व दूसरे समारोह में गए जाने वाले पुराने गीतों संकलन तैयार किया है और उसे दो किताबों में प्रकाशित कराया है। जिसे लेकर साल 2014 में आशादेवी नाम की महिला ने मालाड पुलिस स्टेशन में सूर्या व दो प्रकाशकों के खिलाफ कॉपीराईट के नियमों के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में आशादेवी ने दावा किया था कि आरोपी गीतकार ने उनकी किताब से सारे गीतों की नकल की है। जो पहले ही प्रकाशित हो चुकी है। इसका उनके पास कॉपीराईट है। जो कॉपीराईट बोर्ड जारी किया है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि सदियों से सार्वजनिक रुप से उपलब्ध पुराने परंपरागत गीतों को लेकर कैसे कोई कॉपीराईट का दावा कर सकता है? पुराने गीतों पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि यह ऐसे पुराने गीत है जो कई पीढ़ियों से शादी व दूसरे समारोह में गाए जाते हैं। कोई इन पर कॉपीराईट का दावा कैसे कर सकता है? यह तो ऐसे है जैसे हमारे राष्ट्रगीत व वंदेमातरम पर कोई कॉपीराईट का दावा करे? क्या इसकी इजाजत दी जा सकती है?
बेंच ने फिलहाल मामले से जुड़ी याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया है और पुलिस को इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने से रोक दिया है। बेंच ने कहा कि हम इस बात पर गौर करेंगे की क्या पुराने गीतों को नए सिरे से पेश करना व उनका संकलन करना कॉपीराईट का उल्लंघन है।
Created On :   3 Jan 2019 8:11 PM IST