बिना किसी आधार के चयन प्रक्रिया निरस्त करना गलत-जारी करो नियुक्ति आदेश

Cancel the selection process without any basis wrong-issue appointment order
बिना किसी आधार के चयन प्रक्रिया निरस्त करना गलत-जारी करो नियुक्ति आदेश
बिना किसी आधार के चयन प्रक्रिया निरस्त करना गलत-जारी करो नियुक्ति आदेश

डिजिटल डेस्क  जबलपुर । रादुविवि के कार्यपरिषद द्वारा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्तियों की चयन प्रक्रिया रद्द करने वाला आदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पूरी प्रक्रिया का अवलोकन कर कहा- अनावेदकों के पास प्रक्रिया निरस्त करने की कोई ठोस वजह नहीं थी, लेकिन उन्हें किसी भी तरह से उसे रद्द करना था। ऐसा आदेश कानून की नजर में खारिज होने लायक हैं। इस मत के साथ अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को 60 दिनों के भीतर नियुक्ति के आदेश प्रदान किए जाएं।
शासन ने रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए
अदालत ने यह फैसला पचपेढ़ी निवासी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा व 5 अन्य और फूटाताल निवासी आनंद परोची व 9 अन्य की ओर से दायर दो याचिकाओं पर दिया। आवेदकों का कहना था कि यूनिवर्सिटी ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए एक कमेटी गठित की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने कई परिपत्र जारी कर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए। 26 जून और 18 सितंबर 2014 को रादुविवि ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए। उसके बाद योग्य उम्मीदवारों की लिखित परीक्षाएं हुईं, लेकिन नतीजे घोषित न करने पर एक याचिका वर्ष 2015 में दायर की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि एक माह के भीतर रिजल्ट घोषित किए जाएं। यूनिवर्सिटी ने 18 जुलाई 2015 को नतीजे घोषित किए, जिसमें सभी याचिकाकर्ताओं के नाम थे। 3 अगस्त को एक कमेटी का गठन किया गया, ताकि चयन से वंचित उम्मीदवारों की आपत्तियों का निराकरण किया जा सके। इसके बाद 20 अगस्त 2015 को कार्यपरिषद ने पूरी चयन प्रक्रिया इस आधार पर निरस्त कर दी कि सरकार से ऐसा करने की कोई मंजूरी नहीं ली गई। इस पर ये मामले हाईकोर्ट में दायर किए गए थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ग्रीष्म जैन व आकाश चौधरी ने पैरवी की।
कुलपति भी थे निर्णय के खिलाफ-
 अपने आदेश में अदालत ने कहा- चयन प्रक्रिया निरस्त करने संबंधी कार्यपरिषद के निर्णय के पक्ष में कुलपति भी नहीं थे। उनका यह भी मानना था कि बिना किसी ठोस कारण के प्रक्रिया को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए। रिकार्ड पर चयन प्रक्रिया के विरोध में कुछ भी मौजूद नहीं था।
वंचित उम्मीदवारों की दलीलें नाकाफी
 अदालत ने कहा कि चयन से वंचित कुछ उम्मीदवारों ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने आरोप भी लगाए कि चयन प्रक्रिया में यूनिवर्सिटी के कुछ कर्मचारियों व पदाधिकारियों के करीबियों का चयन हुआ है। अदालत ने उनकी दलीलों को नाकाफी पाते हुए कहा कि ये जिम्मेदारी विवि की थी कि उसे कोर्ट में उचित सबूत पेश करना थे, पर ऐसा नहीं किया गया।

Created On :   26 Oct 2019 8:32 AM GMT

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