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बाघों की गणना में ढेरों खामियां,कर्मियों के बहिष्कार का असर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघों की गणना में इस बार ढेरों खामियां सामने आयी है। ये खामियां वन कर्मियों के बहिष्कार के चलते हुई है। वैसे तो बाघों के पद चिह्नों के आधार पर अचूक गणना के लिए जीपीएस, पीडीए यंत्रों का उपयोग किया जाता है, परंतु वनरक्षकों और वनपालों द्वारा टेक्निकल काम का बहिष्कार करने से वन विभाग इन यंत्रों का उपयोग नहीं कर पाया। पीडीए यंत्र का उपयोग नहीं कर पाने से व्याघ्र गणना दोषपूर्ण होने का दावा महाराष्ट्र वनरक्षक-वनपाल संगठन अध्यक्ष विजय मेहर ने किया है। व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की गिनती के लिए हर 4 साल में गणना की जाती है। पहली व्याघ्र गणना सन् 2006 में की गई थी। हाल ही में चौथी गणना की गई। 4 चरणों में इसे पूरा किया जाता है। प्रथम चरण में कर्मचारियों का प्रशिक्षण, दूसरा चरण ट्रांजिट लाइन, तीसरा चरण कैमरा ट्रैप और अंतिम में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सेंसस की ओर से आंकड़े जारी किए जाते हैं।
क्या है पीडीए का महत्व
बाघों की गणना में दूसरा और तीसरा चरण महत्वपूर्ण है। दूसरे चरण में बाघों के विचरण क्षेत्र की पहचान की जाती है। 15 किलोमीटर को 3 हिस्सों में बांटकर इसे बाघ विचरण करने वाले रास्ते की मार्किंग की जाती है। इसके लिए बाघ के पद चिह्न (पगमार्क) तथा विष्टा का सहारा लिया जाता है। वन कर्मचारी एक दिन में 5 किलोमीटर के हिसाब से 3 दिन इस मार्ग का निरीक्षण करता है। इसके बाद 15 किमी को 2.5 किमी के 6 हिस्सों में बांटा जाता है। इसे ट्रांजिट लाइन कहा जाता है। अगले 6 दिन ट्रांजिट लाइन में खड़े पेड़, ऊंचाई, प्रजाति, संख्या तथा घास आदि की जानकारी रिकार्ड में दर्ज की जाती है। इन कार्यों में जीपीएस और पीडीए यंत्र का उपयोग िकया जाता है। जीपीएस से क्षेत्रफल तथा पीडीए यंत्र से संग्रहित जानकारी सीधे कम्प्यूटर में लोड की जाती है।
पेपर पर भरवानी पड़ी जानकारी
ट्रांजिट लाइन व्याघ्र गणना में पीडीए यंत्र का उपयोग करने पर अचूक जानकारी संग्रहित होती है। इसे सीधे संबंधित संस्था की साइट पर अपलोड किया जाता है। इसमें पेपर पर जानकारी भरने की आवश्यकता नहीं पड़ती। टेक्निकल कामों का वन कर्मचारियों के बहिष्कार करने से पीडीए का उपयोग नहीं किया जा सका। नतीजा वन िवभाग को ट्रांजिट लाइन की जानकारी पेपर पर भरवानी पड़ी।
नहीं आती है बाधा
व्याघ्र गणना का टाइम बाउंड कार्यक्रम राज्य सरकार को दिया गया है। इस कालावधि में काम पूरा होने की उम्मीद है। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा आने की जानकारी नहीं है।
हेमंत कांबली, सहायक महानिरीक्षक, एनटीसीए
डेढ़ महीने से चल रहा है बहिष्कार
नॉन टेक्निकल पद पर भर्ती कर टेक्निकल काम करवाए जाने का महाराष्ट्र वनरक्षक-वनपाल संगठन ने विरोध किया है। इसे लेकर हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाकर टेक्निकल पद की वेतनश्रेणी देने का आदेश दिया, परंतु वन विभाग द्वारा इसे अमल में नहीं लाए जाने से टेक्निकल कामों का बहिष्कार किया है। वनरक्षक और वनपालों के बहिष्कार आंदोलन शुरू होकर डेढ़ महीना हो चुका है।
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Created On :   29 Jan 2018 1:18 PM IST