इसके अलावा राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि जिन अस्पतालों में साल भर में 25 अंग प्रत्यारोपण नहीं किए जाते है उनकी अस्पताल आधारित कमेटी को अंग प्रत्यारोपण की अनुमति न देने का निर्देश दिया गया है। सोमवार को राज्य सरकार की ओर से डाक्टर पीटी वाकोडे ने हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। उन्होंने हलफनामा में कहा गया है कि मेडिकल शिक्षा विभाग ने औरंगाबाद की एक अस्पताल की अंगप्रत्यारोपण से जुड़ी कमेटी को अंग प्रत्यारोपण की अनुमति देने से रोक दिया गया है क्योंकि वहां पर साल भर में 25 से कम अंग प्रत्यारोपण किए जाते है। इसके अलावा सरकार व्यापक स्तर पर अंग प्रत्यारोपण को लेकर लेक्चर,पोस्टर,टीवी व रेडियों के माध्यम से लोगों में जागरुकता फैला रही है। अंग प्रत्यारोपण को बढावा देने के लिए अंग का दान करनेवाले लोगों को सम्मानित भी कर रही है। जागरुकता को लेकर महाराष्ट्र सकार को दिल्ली में सम्मानित भी किया गया है। हलफनामा में साफ किया गया है कि जिन अस्पतालों में साल भर में 25 अंग प्रत्यारोपण नहीं किए जाते है वहां के मरीजों को राज्य सरकार की एथाराइजेशन कमेटी से अनुमति लेनी पड़ेगी। सरकार की कमेटी को सारी बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर दी है। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण को लेकर हाईकोर्ट की ओर से जारी किए गए निर्देशों की प्रति अस्पतालों को भेज दी गई है ताकि कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों का पालन हो सके। हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया था कि सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाए जिसमें अंग प्रत्यारोपण से जुड़े ताजे आकड़े वेबसाइट पर अपलोग किए जा सके। इस बीच सरकारी वकील के आग्रह पर न्यायमूर्ति अभय ओक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले को लेकर एसवी पाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।