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पेट्रोल-डीजल सेस का व्यावसायिक मदों में उपयोग को दी चुनौती

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि पेट्रोल और डीजल पर वसूले जाने वाले सेस का व्यावसायिक मदों में क्यों उपयोग किया जा रहा है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की डिवीजन बैंच ने अनावेदकों से चार सप्ताह में जवाब माँगा है। यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि रोड इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 1988 में पेट्रोल और डीजल पर 8 प्रतिशत सेस लगाया था। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 में इस एक्ट में संशोधन कर दिया। संशोधन के जरिए यह प्रावधान कर दिया गया कि पेट्रोल और डीजल के सेस का उपयोग अब अन्य मदों में व्यावसायिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी किया जाएगा। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि पेट्रोल और डीजल पर लगाए जाने वाले सेस का व्यावसायिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। यह पूरी तरह असंवैधानिक है। डिवीजन बैंच से अनुरोध किया गया कि इस प्रावधान को निरस्त किया जाए। प्रारंभिक सुनवाई के बाद केन्द्र सरकार और केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया है।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।