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राजस्थान, केरल और महाराष्ट्र में छिंदवाड़ा के कड़कनाथ की धूम

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । कड़कनाथ मुर्गा की हैचरी और फार्म के लिए प्रदेश में झाबुआ के बाद अब छिंदवाड़ा भी पहचाना जाने लगा है। यहां पैदा होने वाले कड़कनाथ चूजों की महाराष्ट्र से 5 हजार, केरल 4 हजार और राजस्थान से 2 हजार डिमांड भी आई है। हालांकि अभी महाराष्ट्र को मात्र 600 चूजों की सप्लाई भेजी गई है। लगातार बढ़ती डिमांड के चलते कृषि विज्ञान केन्द्र छिंदवाड़ा ने हैचरी और फार्म का विस्तार करने नया प्रस्ताव प्रेषित किया है।
नस्ल सुधार कार्यक्रम
आत्मा परियोजना अंतर्गत तकनीकी सुधार कार्यक्रम के तहत छिंदवाड़ा में झाबुआ से लाकर कड़कनाथ मुर्गा की नस्ल को बढ़ाया है। छिंदवाड़ा मेंं वर्ष 2014 में कड़कनाथ पालन के लिए 3 लाख की हैचरी और 24 लाख रुपए का शेड बनाया गया, जिसमें 250 कड़कनाथ चूजा पालन से शुरूआत की गई। यह प्रोजेक्ट कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र पन्नावे, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सदासुख सावरकर और कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सुंदरलाल अलावा संभाल रहे हैं। अब यहां लगभग 200 मुर्गा और 300 मुर्गिंया हैं। जिनसे प्रतिदिन 80 से 100 अंडे मिलते हैं। यहां 5000 अंडों की क्षमता वाली हैचरी मशीन है। फार्म और हैजरी संचालन में लगभग 16 हजार रुपए अनाज, बिजली बिल और अन्य कार्य में खर्च होता है। अब इसे सोलर सिस्टम से जोड़ रहे हैं, जिससे बिजली बिल में 8 से 10 हजार रुपए की बचत होगी।
मुर्गा की विशेष प्रजाति है कड़कनाथ
देश के छत्तीसगढ़, झारखंड और मप्र के भिंड-मुरैना-झाबुआ क्षेत्र में मुर्गी-मुर्गा की विशेष प्रजाति कड़कनाथ पाई जाती है। जिसका रक्त, बाल, नाखून, चौंच, जीभ, टांगे, चमड़ी, हड्डी और सिर की कलगी का रंग काला होता है। सर्दियों में इसकी विशेष डिमांड रहती है। इसमें कम फैट अर्थात कोलेस्ट्राल का स्थर काफी कम, अमीनो एसिड का स्तर अधिक होता, यह लजीज स्वाद के लिए भी पहचाना जाता है। कड़कनाथ मुर्गा की कीमत देशी नस्ल के मुर्गा से अधिक होती है। कड़कनाथ मुर्गी 5 माह की उम्र से अंडे देना शुरू करती है। पहली बार उसके अंडों का आकार छोटा रहता है, फिर दूसरी बार से उसके अंडों का आकार बढ़ जाता है। एक मुर्गी लगभग 18 माह तक अंडे देती है।
कड़कनाथ के अंडे और चूजे
फार्म मेें एक अंडा 50 रुपए का मिलता है। हैचरी में 18 दिनों में अंडे से चूजा निकलते हैं, जिन्हें 3 दिनों तक मशीनों में ही रखते हैं। एफ-1, एफ-2, रानीखेप टीकाकरण के बाद चूजा 80 रुपए की दर पर मिलता है। जो आत्मा परियोजना, वन विभाग और एसएचजी ग्रुप तामिया के माध्यम से सप्लाई होता हैं।
इनका कहना है
प्रोजेक्ट के तहत यहां कड़कनाथ की नस्ल में सुधार और वृद्धि होती है। कड़कनाथ चूजों की अन्य प्रदेशों से डिमांड बढऩे पर यूनिट का विस्तार प्रस्तावित किया गया है।
डॉ. सुरेन्द्र पन्नासे, प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, चंदनगांव
Created On :   17 March 2018 5:06 PM IST