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महात्मा गांधी ने छिंदवाड़ा से फूंका था खिलाफत का बिगुल

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। देश को आजाद कराने की लड़ाई में छिंदवाड़ा की भूमिका काफी अहम रही थी। 1847 की लड़ाई के बाद वीर सेनानी तात्या टोपे ने बटकाखापा क्षेत्र में जाकर लोगों के अंदर स्वतंत्रता की अलख जगाई थी। इसके अलावा राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने खिलाफत आंदोलन की शुरूआत भी छिंदवाड़ा से ही की थी।
जवाहरलाल नेहरु के छोटी बाजार में दिए गए ओजस्वी भाषण आज भी बुजुर्गों के जेहन में हैं। जवाहरलाल नेहरू की सभा 31 दिसंबर 1936 को पंडित जवाहर लाल नेहरु छिंदवाड़ा आए थे। कड़कड़ाती ठंड में रात एक बजे छोटी बाजार में पंडित नेहरु को सुनने के लिए हजारों लोग बैठे रहे।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत छिंदवाड़ा से ही की थी। दिसंबर 1920 में नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद महात्मा गांधी की पहली सभा 6 जनवरी 1921 को छिंदवाड़ा में चिटनवीस गंज (वर्तमान गांधीगंज) में हुई थी। सभा में बापू ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की थी। जोश और उमंग से भरे लोगों ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी।
छितियाबाई के बाड़े में दूसरी सभा
महात्मा गांधी का दूसरी बार 29 नवंबर 1933 को छिंदवाड़ा आगमन हुआ था। उस समय उनकी सभा बुधवारी बाजार में छितियाबाई के बाड़े में हुई थी। आम एवं केले के पत्तों से पंडाल को सजाया गया था। लालटेनों के जरिए पांडल में रोशनी की व्यवस्था की गई थी। लोगों ने बापू को मानपत्र भेंट किया था।सरोजनी नायडू ने 18 अप्रैल 1922 को चिटनवीसगंज में एतिहासिक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। इस सम्मेलन के बाद छिंदवाड़ा प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन गया था।
Created On :   15 Aug 2017 8:10 AM IST