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ऐसे डिजिटल होगा छिंदवाड़ा, न बिजली है न इंटरनेट सुविधा

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। शासन के नए आदेशों के तहत सरपंच-सचिवों को पेपरलेस करने की मशक्कत शुरू हो गई है। आदेश भी जारी हो चुके हैं कि सरपंच-सचिवों को कागजी खानापूर्ति की बजाए पूरा काम ऑनलाइन करना होगा। एसी ऑफिसों में बैठकर आदेश बनाने वाले ऑफिसर जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं।
दरअसल छिंदवाड़ा में आज भी ऐसे गांव मौजूद हैं, जहां इंटरनेट तो दूर मोबाइल का नेटवर्क तक नहीं मिलता है। अब दिक्कतों को झेल रहे सरपंच-सचिव अधिकारियों के नाम से रो रहे हैं। छोटा सा काम कराने के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है। गांव के कंप्यूटर तो बंद पड़े हैं। सरपंच-सचिवों का सारा समय सिर्फ नेट का नेटवर्क तलाशने में बीत रहा है।
यहां आ रही दिक्कत
नेटवर्क: छिंदवाड़ा का एक बड़ा क्षेत्र आदिवासी अंचल है। जुन्नारदेव, हर्रई, तामिया जैसे क्षेत्रों में आज भी टेलीफोन कनेक्शन जैसी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में पेपरलेस और ऑनलाइन काम की अवधारणा फिलहाल यहां लागू नहीं हो पा रही है।
बिजली: सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की है। ग्रामीण इलाकों में कई-कई घंटे बिजली नहीं रहती है। तामिया और जुन्नारदेव जैसे कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां पर हफ्ते-हफ्ते भर ग्रामीणों को अंधेरे में गुजारना पड़ता है। जब यहां बिजली ही नहीं तो ऑनलाइन काम करना भी संभव नहीं है।
ट्रेनिंग : पेपरलेस करने के पहले शासन ने सरपंच-सचिवों को प्रशिक्षण तो दिया, लेकिन अधिकांश सरपंचों का शैक्षणिक स्तर ऐसा नहीं है कि वे इसका प्रापर उपयोग कर पा रहे हैं। OTP नंबर जनरेट होने के बाद भी सरपंचों को दिक्कतें आ रही हैं।
कम्प्यूटर: जिले की पंचायतों को बंटे कम्प्यूटर 2012 और 2014 में बांटे गए थे। पंचायतों में रखे-रखे ही इन कम्प्यूटरों ने दम तोड़ दिया है। वहीं नए सॉफ्टवेयर प्रणाली आने से भी प्रशिक्षित सचिवों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पेपरलेस व्यवस्था में ये भी एक बड़ी खामी है।
क्या पड़ रहा असर ?
मनरेगा में ऑनलाइन फीडिंग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। जिसकी वजह से मजदूरों को मजदूरी मिलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।साफ आदेश है कि पंच-परमेश्वर के कामों में कागजों का उपयोग नहीं होगा। ऐसे में पंचायतों से जुड़े कई कामों की फीडिंग रोजाना नहीं हो पा रही है।
किसका क्या कहना है ?
जिला पंचायत उपाध्यक्ष शैलेंद्र रघुवंशी का कहना है कि हम प्रयास करेंगे कि फिलहाल पंचायतों को पेपरलेस करने की छूट दी जाए या फिर सरपंच- सचिवों को पहले ट्रेनिंग दी जाए। मप्र सचिव संघ,प्रदेश पदाधिकारी अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि पुराने सरपंच-सचिवों को ऑनलाइन और पेपरलेस करने से दिक्कतें बहुत आ रही हैं। जिस वजह से पंचायत के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, जिला पंचायत एडीशनल सीईओ अनुराग मोदी कहते है कि तामिया और हर्रई जैसी पंचायतों में इंटरनेट की दिक्कतें आ रही हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि यहां भी जल्द से जल्द व्यवस्था में सुधार हो सके।
Created On :   25 Oct 2017 8:51 AM IST