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हाईकोर्ट पहुंचा आंगनबाड़ी सेविकाओं की हड़ताल का मामला, बच्चे और गर्भवती महिलाएं परेशान

डिजिटल डेस्क, मुंबई/नागपुर। आंगनबाड़ी सेविकाओं की हड़ताल के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता डॉ.गुणरत्ने सदाव्रते की ओर से दायर याचिका में हड़ताल पर रोक लगाने और सेविकाओं को काम पर लौटने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि 11 सितंबर से सेविकाओं की हड़ताल चल रही है। इसके चलते 6 साल के छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों को समय पर आहार नहीं मिल रहा है।
मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक स्थगित
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर और न्यायमूर्ति नितिन जामदार की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि वे मामले की पैरवी के लिए न्यायमित्र की नियुक्ति करेंगे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए हड़ताल को समर्थन देने वाले लोगों की जांच की जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।
उपराजधानी की 677 आंगनबाड़ियों में पोषण आहार नहीं
उपराजधानी नागपुर में आंगनबाड़ी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से पोषण आहार व्यवस्था चरमरा गई है। 18 दिन से आंगनबाड़ियों पर ताले लगे हैं, साथ ही स्वास्थ्य जांच सब कुछ ठप है। जबकि सरकार हड़ताल के कारण पोषण आहार पर कोई फर्क नहीं पड़ने का दावा कर रही है। आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठनों के साथ चर्चा विफल होने पर आशा वर्कर और महिला बचत गटों में सहयोग से पोषण आहार शुरू किए जाने का दावा किया गया। लेकिन महानगर की 981 आंगनबड़ियों में से 677 आंगनबाड़ियों में पोषण आहार शुरू नहीं हुआ है। एसे में सरकार का पोषण आहार व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ने का दावा खोखला साबित हुआ है। इस मसले पर उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी, महिला व बाल विकास विभाग, प्रशांत थोरात का कहना है कि आशा वर्कर और महिला बचत गटों के सहयोग से पोषण आहार शुरू किया जा रहा है। अगले दो दिन में पोषण आहार वितरण शुरू होगा।
Created On :   29 Sept 2017 9:02 AM IST