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नागरिकता विधेयक : साथ होकर भी जुदा-जुदा हैं शिवेसना और कांग्रेस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस के साथ मिलकर भले ही सरकार बना ली हो, परंतु विचारधारा मेल नहीं खाने के चलते दोनों दल कई मौकों पर अलग-अलग दिख रहे हैं। वीर सावरकर पर कांग्रेस से इतर विचार रख चुकी शिवसेना ने नागरिकता विधेयक पर न केवल लोकसभा में कांग्रेस से अलग मत रखा, बल्कि वह इस कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल से भी अलग रही। नागरिकता कानून के खिलाफ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है। लेकिन इस प्रतिनिधिमंडल से शिवसेना का प्रतिनिधि नदारद रहा। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने पहले ही कहा था ‘मैं इसके बारे में नहीं जानता। शिवसेना इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं है’। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने नागरिकता कानून पर शिवसेना का रूख भांप उसे इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित ही नहीं किया था। चूंकि कांग्रेस को पता था कि शिवसेना खुलकर नागरिकता कानून के विरोध में नहीं है। ऐसे में पार्टी ने शिवसेना को आमंत्रित नहीं करके दोनों दलों को इस पर होने वाली शर्मिंदगी से बचाने की कोशिश की है। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि शिवसेना अभी संप्रग का सदस्य नहीं है। लिहाजा उससे प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का आग्रह नहीं किया गया था।
बता दें कि कांग्रेस और शिवसेना वीर सावरकर को लेकर भी आमने-सामने आ चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांाधी ने रामलीला मैंदान की रैली में यह कहकर सावरकर पर तंज कसा था कि उनका नाम राहुल ‘सावरकर’ नहीं हैं, जो माफी मांगेंगे। उनके इस बयान पर शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा था कि सावरकर पर देश को गर्व है और सावरकर मसले पर कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होने कांग्रेस से कहा था कि वह भी सावरकर के बारे में इस तरह की बात करना बंद करे। कुल मिलाकर महाराष्ट्र की सत्ता में साथ होने के बावजूद कांग्रेस और शिवसेना जुदा-जुदा दिख रही हैं।
Created On :   17 Dec 2019 8:42 PM IST