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हलबा जाति का दावा खारिज, जनजाति प्रवर्ग प्रमाणपत्र जारी करने की थी मांग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने हलबा जाति के दावे को खारिज करते हुए याचिका को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति अतुल चांदूरकर और जी ए सानप की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के दावे को खारिज किया। याचिकाकर्ता नंदा मौंढ़ेकरी ने खुद को हलबा कोष्ठी मानते हुए अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी। जाति प्रमाणपत्र जांच समिति ने कोष्ठी को अनुसूचित जनजाति के बजाय ओबीसी प्रवर्ग में मान्य किया था। समिति का तर्क था कि अनुसूचित जनजाति की नियमावली में बुनाई काम से जुड़े सुमदाय को हलबा माना गया है, जबकि बुनाई काम करने के बाद भी कोष्टी समुदाय नियमावली के तहत अन्य पिछड़ा प्रवर्ग में शामिल हैं। याचिकाकर्ता के दस्तावेजों में सन 1952 को जारी जाति प्रमाणपत्र में छेड़छाड़ की गई है। समिति के आदेश को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दोबारा सुनवाई आरंभ हुई थी। न्यायालय में सुनवाई के दौरान जांच समिति के दावे को सही मानते हुए याचिकाकर्ता के एसटी प्रमाणपत्र जारी करने के दावे को खारिज कर दिया गया। न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिल धवस ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार और जाति प्रमाणपत्र जांच समिति की ओर से सहायक सरकारी अधिवक्ता संगीता जाचक ने पैरवी की।
Created On :   21 Dec 2021 7:19 PM IST