मराठा छात्रों के मेडिकल प्रवेश का रास्ता साफ, दानवे की खैरे को चेतावनी, सूखे को लेकर मनसे भी आक्रामक

Clear path of Maratha students in medical admission, MNS aggressive on drought
मराठा छात्रों के मेडिकल प्रवेश का रास्ता साफ, दानवे की खैरे को चेतावनी, सूखे को लेकर मनसे भी आक्रामक
मराठा छात्रों के मेडिकल प्रवेश का रास्ता साफ, दानवे की खैरे को चेतावनी, सूखे को लेकर मनसे भी आक्रामक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के लिए आरक्षण अध्यादेश, 2019 के संशोधन को मंजूरी दे दी है। सरकार ने मेडिकल और डेंटल के स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले मराठा समाज के विद्यार्थियों के दाखिले को बरकरार रखने के लिए गत दिनों अध्यादेश लाने का फैसला किया था। अब इसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ ही अध्यादेश लागू हो गया है। इस अध्यादेश से मेडिकल और डेंटल में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को इस शैक्षणिक वर्ष में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। बाम्बे होईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस शैक्षणिक वर्ष में मराठा आरक्षण को रद्द करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी नागपुर खंडपीठ के आदेश को कायम रखा था। जिसके बाद विद्यार्थियों के दाखिले को बचाने के लिए सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा। 

चुनाव को लेकर मराठा समाज को निशाना न बनाए खैरे: दानवे
 
वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों के चार दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहब दानवे ने शिवसेना के औरंगाबाद के सांसद चंद्रकांत खैरे पर पलटवार किया है। औरंगाबाद सीट पर मतदान के बाद खैरे ने आरोप लगाया था कि दानवे ने गठबंधन धर्म निभाने की बजाय चुनाव में अपने दामाद व खैरे के सामने बतौर निर्दलिय उम्मीदवार चुनाव लड़ हर्षवर्धन जाधव की मदद की है। इस पर दानवे ने कहा कि खैरे मराठा समाज को निशाना न बनाए।यह समाज भाजपा और शिवसेना युति के साथ है। दानवे ने कहा कि दलित होने के बावजूद खैरे को मराठा समाज ने वोट किया है। दानवे ने कहा औरंगाबाद सीट पर वोटों के बंटवारे के कारण खैरे को हार का डर लग रहा है। खैरे को लग रहा है कि मराठा समाज के वोटरों ने निर्दलीय उम्मीदवार जाधव और दलित और मुस्लिम समाज के वोटरों ने एमआईएम के उम्मीदवार इम्तियाज जलील के पक्ष में वोट किया। लेकिन उन्होंने वोटिंग पैर्टन के बारे में अध्ययन नहीं किया है। औरंगाबाद में जाति के आधार पर वोटिंग नहीं होती है, यदि जाति के आधार पर मतदान होता तो दलित समाज का होने के बावजूद खैरे चार बार सांसद और दो बार विधायक कैसे बन गए। क्या अब तक उन्हें मराठा समाज के वोट नहीं मिले? दानवे ने कहा कि नामांकन भरने के बाद बीमारी के कारण मैं दस दिनों तक अस्पताल में था। मैं अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार भी नहीं कर सका। मैं अपने प्रचार में हिस्सा नहीं ले पाया तो खैरे के खिलाफ प्रचार के लिए मैं कैसे शामिल हो सकता हूं। 

सूखे को लेकर मनसे की सरकार को चेतावनी

उधर सूखे को लेकर मनसे सरकार के खिलाफ आक्रामक नजर आ रही है। सूखा प्रभावित इलाकों की समस्याओं का आठ दिनों में समाधान नहीं करेगी तो मनसे रौद्र रूप धारण करेगी। मनसे के नेता जयप्रकाश बाविस्कर ने यह चेतावनी दी है। सोमवार को मनसे नेता व पूर्व विधायक बाला नांदगांवकर के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के राजस्व तथा राहत व पुनर्वसन मंत्री चंद्रकांत पाटील से मुलाकात की। बाविस्कर ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से 151 तहसीलों में 31 अक्टूबर 2018 को सूखा घोषित किया गया था। इसके बाद से अब तक मनसे के पदाधिकारी प्रशासन को चार बार सूखा प्रभावितों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं। लेकिन प्रशासन के अधिकारियों  कुछ नहीं किया। इस लिए हमें मंत्री को हिलाने के लिए आना पड़ा। बाविस्कर ने कहा कि सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया तो ठीक, नहीं तो आठ दिनों में मनसे रौद्र रूप धारण करेगी। बाविस्कर ने कहा कि सूखा प्रभावित लोगों के लिए लागू योजनाओं के लाभार्थी कौन हैं। पीने के लिए पानी की सुविधा कहां पर की गई है। चारा छावनी कहां पर शुरू है और इसकी कहां पर जरूरत है। रोजगार के लिए क्या व्यवस्था की गई है। यह सभी जानकारी सरकार से चाहते हैं। बाविस्कर ने कहा कि सरकार कहती है कि सूखा मुक्त महाराष्ट्र के लिए जलयुक्त शिवार योजना में 8 हजार 8 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन सरकार का जलापूर्ति विभाग का कहना है कि 13 हजार 974 गांवों में भूजजल स्तर 4 मीटर से नीचे चला गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जलयुक्त शिवार योजना का पैसा गया कहां?

महिला आयोग पहुंची राकांपा नेता

दूसरी ओर सूखा प्रभावित इलाकों की महिलाओं की समस्याओं को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस की महिला प्रदेश अध्यक्ष चित्रा वाघ ने राज्य महिला आयोग की सदस्य सचिव मंजुषा मोलवणे से मुलाकात की। उन्होंने सूखा प्रभावित इलाकों की महिलाओं के रोजगार, स्वास्थ्य और चारा छावनी की समस्या को महिला आयोग के सामने रखा। साफ पानी, शौचालय, बच्चों को अनाज, मुर्गी और भेंड-बकरियों के लिए अनुदान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों में महिलाओं को पानी भरते समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वाघ ने महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर को भी फोन के जरिए महिलाओं की समस्याओं से अवगत कराया। 

Created On :   20 May 2019 5:13 PM GMT

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