डॉक्टरों पर नकेल लगाने वाले कानून के लिए अभी एक साल का इंतजार

Clinical Establishment Bill will present in next winter session
डॉक्टरों पर नकेल लगाने वाले कानून के लिए अभी एक साल का इंतजार
डॉक्टरों पर नकेल लगाने वाले कानून के लिए अभी एक साल का इंतजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विजय सिंह "कौशिक"। इलाज के नाम पर जमकर बिल वसूलने वाले डाक्टरों और अस्पतालों पर नकेल लगाने वाला विधेयक पिछले पांच सालों से कानून बनने की राह देख रहा है। लेकिन अभी इसके लिए और एक साल इंतजार करना होगा। क्लिनिकल इस्टेबलिसमेंट विधेयक नागपुर के अगले शीतकालिन सत्र में पेश होगा। अभी इस विधेयक को लेकर डॉक्टरों के संगठन और सरकार में सहमति नहीं हो सकी है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री डॉ.दीपक सावंत का कहना है कि विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर सहमति बनाई जा रही है। क्लिनिकल इस्टेब्लिसमेंट विधेयक अब 2018 के शीतकालिन सत्र में पेश हो सकेगा।

चार साल से लटका क्लिनीकल इस्टेबलिस्टमेंट बिल

दरअसल गठबंधन सरकार के दौरान तत्कालिन स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी ने केंद्र के इस कानून को महाराष्ट्र में लागू करने की योजना बनाई थी। तत्कालिन कांग्रेस-राकांपा सरकार इस विधेयक को 2011 के मानसून सत्र में पेश करना चाहती थी। लेकिन डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के कड़े विरोध के चलते सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। बाद में मसला सुलझाने के लिए महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी बनाी। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद विधेयक में कुछ फेरबदल किए गए। तब तक राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया और राज्य के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिपक सावंत ने विधेयक विधानमंडल में पेश नहीं किया। जबकि विधेयक केंद्र सरकार 2010 में पारित कर चुकी है। 

फिलहाल हीं खत्म होगा बड़े-छोटे अस्पतालों का भेद

विधेयक के प्रावधान के अनुसार सभी अस्पतालों और डॉक्टरों को इलाज की दर सूची लगानी होगी। जबकि किसी ऑपरेशन के लिए कोई डॉक्टर एक लाख लेता है, तो उसी के लिए नामी डॉक्टर मोटी रकम वसूल लेते हैं। डॉक्टर की योग्यता के हिसाब से फीस तय होती हैं। इसलिए विधेयक के प्रावधान को लागू करना संभव नहीं होगा, जिसके अनुसार डॉक्टरों को एक समान फीस वसूलनी होगी।

Created On :   21 Dec 2017 8:16 PM IST

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