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यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रक्रिया की खामी हल करने विशेषज्ञ समिति गठित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी के नियमों में की गई सख्ती और इस प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियां सीनेट की बैठक में लंबी चर्चा की विषय बनीं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिशों का हवाला देकर यूनिवर्सिटी ने पीएचडी पात्रता परीक्षा और अन्य कई पहलुओं में बदलाव किए हैं, लेकिन इसके लागू होने से शोधार्थियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे में सीनेट सदस्यों की सिफारिश पर नागपुर यूनिवर्सिटी ने डॉ.आर.जी.भोयर की अध्यक्षता में समिति गठित कर इस समस्या का हल निकालने का निर्णय लिया है। बैठक में सदस्य डॉ.केशव मेंढे ने प्रस्ताव रखा कि पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षक, जिनके कॉलेज को रिसर्च सेंटर के रूप में मान्यता नहीं है, उनको भी गाइड बनने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसी तरह डॉ.अजीत जाचक ने यूजीसी की सिफारिशों को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किए जा सकने का विषय उठाया।
यह भी हैं समस्याएं
दरअसल, नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपने यहां कई प्रकार के मापदंड अपनाए हैं। इसमें पेट परीक्षा में निगेटिव मार्किंग अपनाई गई है। इसी तरह कई संस्थानों को रिसर्च सेंटर के रूप में मान्यता नहीं दी जा रही है। वहीं रिसर्च के कई ऐसे विषय हैं, जिसमें फुलटाइम शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं की गई है। इसके चलते कुछ गाइड अब सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं। इनमें से अनेक को मार्गदर्शक के रूप में अतिरिक्त कार्यकाल नहीं दिया गया। कई अंडर ग्रेजुएट कॉलेजों में गाइड बनने की सभी पात्रताएं रखने वाले शिक्षक मौजूद हैं, फिर भी उन्हें गाइड बनने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सीनेट के वरिष्ठ सदस्य मृत्युंजय सिंह ने कहा कि प्रदेश के अन्य किसी भी विवि में इस प्रकार की अनावश्यक शर्ते नहीं हैं। इस मुद्दे पर यूनिवर्सिटी प्र-कुलगुरु डॉ.प्रमोद येवले और सीनेट सदस्यों के बीच चर्चा हुई, लेकिन सदस्यों का समाधान न होने के कारण यूनिवर्सिटी ने इसके समाधान के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया है।
Created On :   14 March 2019 11:20 AM IST