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GST के तहत मुआवजा मामले में केंद्र और राज्य सरकार समेत CAG को नोटिस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) और अन्य कानून के तहत लगाए गए विभिन्न प्रकार के उपकरो (सेस) के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित महालेखा परीक्षक (CAG) को नोटिस जारी किया है। याचिका में मुख्य रुप से सेस को प्रोत्साहन देनेवाले कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। कानून की प्रोफेसर अश्रिता कोथा ने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने GST और अन्य 15 कानूनों के तहत लिए जानेवाले सेस से जुड़े प्रावाधनों को कोर्ट में चुनौती दी है।
सेस से मिलनेवाली आय राज्यों के साथ साझा नहीं हो सकती
याचिका में कोथा ने कहा कि अतिरिक्त उपकर लगाने के लिए प्रतिपूर्ति का कानून लाया गया है। यह उपकर लग्जरी से जुड़ी वस्तुए और स्वच्छ भारत योजना पर लगाया जा रहा है। ताकि राज्यों को पांच साल तक होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। जबकि केंद्र सरकार के खुद के नियम कहते हैं कि सेस एक खास उद्देश्य के लिए ही लगाया जा सकता है। सेस से मिलने वाली आय को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है।
रोजाना करीब 50 हजार करोड़ रुपए की सेस वसूली
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एसबी तलेकर ने कहा कि रोजाना करीब 50 हजार करोड़ रुपए सेस के रुप में वसूले जा रहे है। जो की नियमों के खिलाफ है। न्यायमूर्ति शांतनु केमकर और न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ ने याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद केंद्र व राज्य सरकार सहित CAG को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई को दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
सेस को लेकर
सरकार कई तरह के फंड बनाती है, इसके लिए सेस वसूला जाता है। कभी पढ़ाई के नाम पर, तो कभी सफाई के नाम पर। इस सेस से सरकार के पास हर साल बड़ी रकम इकठ्ठी होती है।
Created On :   18 Dec 2017 3:48 PM GMT