NIT  के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत , धोखाधड़ी का आरोप

Complaint against NIT in police station fraud charges
 NIT  के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत , धोखाधड़ी का आरोप
 NIT  के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत , धोखाधड़ी का आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर सुधार प्रन्यास (नासुप्र) ने 1999 में आरक्षित जगह कई लोगों को बेच दी थी। अब यह मामला नासुप्र के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। नासुप्र ने संबंधितों से लाखों रुपए लिए और अब तक जमीन की लीज डीड नहीं बना दी। पीड़ित लोगों ने कलमना पुलिस थाने में नासुप्र की शिकायत करते हुए नासुप्र पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। मामला सरकारी एजेंसी से जुड़ा होने से पुलिस भी फूंक फूंक कर कदम उठा रही है।

 नासुप्र ने 1999 में मौजा चिखली, खसरा नं. 109, कलमना एरिया में एक साथ 7-8 प्लॉट की नीलामी (ऑक्शन) की थी। एक-एक प्लॉट 6 हजार वर्गफीट से ज्यादा है। अग्रवाल परिवार ने कलमना मार्केट के सामने का प्लॉट नं. 149 नीलामी में 12 लाख 75 हजार रुपए में खरीदा था। अनाज कारोबारी अग्रवाल परिवार ने जुगलकिशोर केदारनाथ अग्रवाल एंड संस के नाम से 6800 वर्गफीट की यह जमीन खरीदी थी। 2001 विलंब शुल्क समेत राशि का भुगतान किया आैर 2008 में इसका ग्राउंड रेट भरा। जमीन पर लगनेवाला मनपा का टैक्स भी अग्रवाल परिवार ही भर रहा है। 

श्यामलाल कंजवानी ने भी 1999 में मौजा चिखली, खसरा नं. 109, कलमना एरिया में 8900 वर्ग फीट का प्लॉट नं. 156 (ए) नासुप्र से 11 लाख 11 हजार में नलाीमी में खरीदा था। अग्रवाल व कंजवानी ने लीज डीड के लिए नासुप्र से संपर्क किया तो यह प्लाट कृषि उत्पन्न बाजार समिति (एपीएमसी) के लिए आरक्षित होने का खुलासा हुआ। नासुप्र के पास शहर के विकास नियोजन (डीपी) का सारा डाटा उपलब्ध रहता है। लीज की डीड 30 साल के लिए बनती है और समय-समय पर इसका नवीनीकरण किया जाता है। अग्रवाल व कंजवानी के अलावा अन्य 5-6 लोग भी नासुप्र से नीलामी में प्लाट खरीदकर बुरे फंस गए हैं।

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एपीएमसी अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं
गलती ध्यान में आने के बाद नासुप्र ने पीड़ितों को आरक्षण हटाने का भरोसा दिया। आरक्षण हटाने के लिए सरकार को पत्र लिखने का जवाब दिया। नासुप्र ने एपीएमसी को पत्र लिखकर जमीन की जरूरत है या नहीं इस बारे में पूछा। एपीएमसी ने नासुप्र को पत्र लिखकर जमीन की जरूरत बताई। नासुप्र की तरफ से यूजर चेंज करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
 
नासुप्र ने धोखा किया, कार्रवाई होनी ही चाहिए
अनाज कारोबारी अजयकुमार अग्रवाल व श्यामलाल कंजवानी ने बताया कि प्लाट की सारी राशि नासुप्र हमसे ले चुकी है। बार-बार गुजारिश करने के बावजूद हमे प्लाट की लीज डीड नहीं करके दी। नासुप्र ने हमारे साथ चिटींग की है। नासुप्र पर धोखाधड़ी का केस दर्ज होना चाहिए। एक प्लाट दो को बेचना धोखाधड़ी है आैर वहीं काम नासुप्र ने हमारे साथ किया है। हमे यह जमीन चाहिए या आज के हिसाब से राशि वापस मिलनी चाहिए।
 
यह मामला मेरे समय का नहीं है, लेकिन देखकर कुछ बताया जाएगा
यह मेरे समय का मामला नहीं है। 20 साल पुराने इस मामले के संबंध में मुझे जानकारी भी नहीं है। जमीन पहले से आरक्षित थी या बाद में हुई यह देखना होगा। वैसे पहले से आरक्षित जमीन की नीलामी नहीं की जाती। पूरे मामले की स्टडी करने के बाद ही जवाब दिया जा सकता है। -प्रशांत भांडारकर, कार्यकारी अधिकारी, नासुप्र.

Created On :   18 Feb 2020 8:40 AM GMT

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