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यूनिवर्सिटी से लेकर विधानभवन तक आवाज बुलंद करने वाले शख्स हैं कॉमरेड मोहनदास नायडू
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कॉमरेड मोहनदास नायडू ने विद्यार्थियों से लेकर मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए सड़क से लेकर विधानभवन तक आवाज बुलंद की। 88 वर्ष की उम्र में भी न उनका जोश कम हुआ है और न लड़ने का जज्बा। संघर्ष का यह सिलसिला जारी है। आज भी सड़क पर उतर कर आंदोलन का नेतृत्व करने और जोश जगाने का काम बखूबी कर रहे हैं। शहर में वे सर्वदलीय सर्वमान्य नेता के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे समर्पित भाव से न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत मजदूरों के लड़ाकू योद्धा मोहनदास नायडू का दैनिक भास्कर ने स्वागत किया।
25 हजार विद्यार्थियों का मोर्चा
कॉलेज में अध्ययन के दौरान काॅ. नायडू विद्यार्थी आंदोलन से जुड़े। बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ गए और उनके आंदोलनों को गति मिली। उनके नेतृत्व में विद्यार्थियों की फीस वृद्धि रोकने सहित कई बड़े आंदोलन हुए। वर्ष 1989 में नागपुर अधिवेशन के दौरान करीब 25 हजार विद्यार्थियों का भव्य मोर्चा कॉ. नायडू के मार्गदर्शन में विधानभवन पर ले जाया गया।
24 घंटे मजदूर आंदोलन में सक्रिय
काॅ. नायडू ने कॉ. ए. बी. बर्धन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी में काम किया। कॉ. बर्धन ने उन्हें एमआईडीसी में आयटक का प्रभारी बनाया था। कॉ. नायडू ने लकड़ा मजदूर और बुनकरों के लिए भी अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया। रतिनाथ मिश्रा और कॉ. नायडू ने बुनकरों के लिए आंदोलन चलाया। इस दौरान ए. बी. बर्धन ने कॉ. नायडू को उद्योगों में मजदूरों की स्थिति पर फोकस करने को कहा। इसके बाद वे एमआईडीसी में मजदूर आंदोलन के बड़े नेता के रूप में उभरे।
24 घंटे मजदूर आंदोलन में सक्रिय रहने वाले मोहनदास नायडू अपनी रोजी-रोटी के लिए पीपल्स पब्लिकेशन नाम से किताबों की एक छोटी सी दुकान चलाते थे। वे सोवियत संघ से आने वाली किताबों की बिक्री करते थे। मूनलाइट से सटकर उनकी दुकान थी। सीए रोड स्थित परवाना भवन में कॉ. नायडू की बैठकें हुआ करती थीं। वहां एआईटीयूसी का कार्यालय था। इस कार्यालय में ए. बी. बर्धन और मोहनदास नायडू बैठक कर काम को आगे बढ़ाते थे। शहर में बड़े पैमाने पर कैडर बनाने का श्रेय उन्हें जाता है। टेलीकॉम नगर, जयताला रोड निवासी कॉ. नायडू फिलहाल आॅटो चालक-मालक संगठन का संचालन कर रहे हैं। वे आयटक के मार्गदर्शक भी हैं।
Created On :   13 Feb 2020 2:06 PM IST