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अहमद पटेल को कांग्रेस नेताओं ने किया याद- किसी ने खोया अच्छा दोस्त, तो किसी ने मार्गदर्शक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल से क्षेत्रीय कांग्रेस नेताओं का भी जुड़ाव रहा है। संगठन मामले में यहां के कांग्रेस नेता उनसे मिलते रहते थे। कांग्रेस की गुटबाजी की शिकायतें भी पटेल तक पहुंचती रहती थी। उनके निधन पर उन्हें याद करते हुए यहां के नेता रोचक किस्से सुनाने लगते हैं। किसी ने कहा है कि अहमद के तौर पर उन्होंने मित्र को खोया है तो किसी के लिए वे मार्गदर्शक थे।
मित्र
अहमद के साथ मेरा दोस्ताना संबंध रहा है। उनमें विलक्षण धैर्य था। कांग्रेस के वे आधार थे। रात दिन वे संगठन कार्य में सक्रिय रहते थे। 1977 में वे लाेकसभा सदस्य चुने गए थे। 1980 से 1990 तक हम दोनों एक ही सदन के सदस्य थे। उसके बाद वे राज्यसभा व मैं लोकसभा सदस्य रहा। 2014 तक यह सफर चला। अहमद के साथ कल तक दोस्ती कायम रही। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है।
विलास मुत्तेमवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री
मार्गदर्शक
मेरे लिए अहमद राजनीति के मार्गदर्शक थे। बड़े भाई थे। उन्होंने कांग्रेस का साथ कभी नहीं छोड़ा। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ। मंत्रालय में केबिनेट मंत्री के तौर पर मैं अकेले ही था। तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख मुंबई से बाहर थे। मैंने आतंकवादी हमले की जानकारी अहमद को दी। वे दिल्ली में थे। संप्रग में उनका प्रभावी स्थान था। उन्होंने मुंबई की स्थिति नियंत्रित रखने में योगदान दिया। तत्काल सेना भिजवायी थी। कांग्रेस के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं के लिए भी वे मार्गदर्शक थे।
अनीस अहमद ,पूर्व मंत्री
सलाहकार
अहमद कुशल सलाहकार थे। मंत्री बनने के बाद मैंने उनसे दिल्ली में मुलाकात की। उन्होंने मुझे सलाह दी। उन्होंने कहा-तुम मंत्री बने हो। तुम्हे कई लोग विविध काम बताएंगे। कभी मैं भी काम लेकर आऊंगा। लेकिन ऐसा काम मत करना जो नियम के अधीन नहीं हो । योग्य न हो। क्योंकि नियम से बाहर किए गए कार्यों से मंत्री की अड़चन बढ़ती है। और जब मंत्री परेशानी में होता है तब उसे कोई साथ नहीं देता है। अहमद ने संगठन के लिए कार्य करते रहने के लिए भी सभी को मार्गदर्शन किया।
नितीन राऊत, पालकमंत्री
विश्वसनीय
विजय वडेट्टीवार, मदद व पुनर्वसन मंत्री के मुताबिक वे विश्वसनीय थे। कांग्रेस में गांधी-नेहरु परिवार के प्रति उनके समर्पण को सभी ने देखा है। जवाहर भवन ट्रस्ट के सचिव भी रहे हैं। राजीव गांधी के समान ही सोनिया गांधी ने भी उनपर सदैव विश्वास किया। दो दशक की राजनीति में उनका बड़ा योगदान रहा है। कठिन समय में भी वे कांग्रेस के साथ रहे हैं। राजनीति व कांग्रेस परिवार में उनका खास स्थान रहा है।
Created On :   25 Nov 2020 5:36 PM IST