कागज की कलम, महुए की मिठास और मशरूम से गुलजार हुआ बीजों का बाजार

कागज की कलम, महुए की मिठास और मशरूम से गुलजार हुआ बीजों का बाजार
कागज की कलम, महुए की मिठास और मशरूम से गुलजार हुआ बीजों का बाजार
कागज की कलम, महुए की मिठास और मशरूम से गुलजार हुआ बीजों का बाजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमने जहां रासायनिक खादों का उपयोग कर अनाज को विषयुक्त बना दिया है, वहीं समाज में एक तबका ऐसा भी है जो जैविक एवं पुरातन परंपराओं को संजोकर रखने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। अभाव में गुजर बसर करने वाले ये लोग अनाज एवं वनस्पतियों की बेहद पुरानी किस्मों को खोजकर उसे बचाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। लुप्तप्राय बीजों से किसानों एवं आम जनता को अवगत करने के लिए बीजोत्सव का आयोजन नागपुर के म्यूर मेमोरियल हॉस्पिटल परिसर में किया गया है। यह प्रदर्शनी रविवार तक जारी रहेगी।

देशी पेड़ों के बीजों को संजोने का प्रयास जारी
स्वदेशी पेड़ों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता को लेकर हर समय नए-नए खोज व प्रयोग किए जा रहे हैं। परंतु प्रत्यक्ष में देशी पेड़ों को बचाने एवं उसके विकास के लिए प्रदर्शनी में बाकायदा इसके बीजों को बेहद आकर्षक ढंग से सजाकर रखा गया है। यहां सागौन, महुआ, शिरिश, करंज, अंजन, जंगली बादाम, ऐन, आपटा, शिश, समुद्र शोस, भेहड़ा, हिरड़ा, पलाश, बबूल, सागरगोठी आदि किस्म के बीजों को देखकर लोगों ने हर्ष व्यक्त किया।

रेशम से बना रहे डायरियां
रेशम के वस्त्रों से डायरियां एवं अन्य स्टेशनरी की सामग्री को बनाने का एक नया संकल्प वर्धा के साटोला गांव निवासी सुनील सेलुकर ने लिया है। प्लास्टिक एवं अन्य वस्तुओं के बजाय उन्होंने वेस्टेज सामग्रियों एवं रेशम के कपड़े से डायरियों को इस तरह से निर्माण कर उस पर इस तरह से चित्रकारी की है कि देखने वाले हर शख्स का मन प्रफुल्लित हो उठता है। हर कोई इन डायरियों को खरीदने की चाह व्यक्त करने लगता है।

भंडारा जिले के पवनी के करीब बाम्हणी में रहने वाले ईखार बंधुओं ने अपनी कड़ी मेहनत से मशरूम को अपने परिसर में उगाने एवं उसकी गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अनेक प्रयोग किए है। अब उनके आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर वे मशरूम का उत्पादन ले पाते हैं। विदर्भ के दूर-दराज तक उनके उत्पादन की मांग है। अत्यंत पौष्टिक समझे जाने वाले इन मशरूमों के निर्माण ने इन्हें ख्याति दिखाई है।

कागज से बनाई कलम, प्लास्टिक को दे दी मात
भंडारा जिले के पवनी में स्थित पवन पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले एक नन्हें छात्र ने कागज से कलम बनाई है। रिफिल को अखबार के कागज में इस तरह से लपेटा गया है कि आसानी से इसका उपयोग किया जा सकता है। न प्लास्टिक का उपयोग और न ही प्रदूषण की चिंता। नन्हें बच्चे के आविष्कार की सराहना स्कूल ने की और उसका यह प्रयोग दिल्ली प्रदर्शनी तक जा पहुंचा। जब इसे व्यापक सराहना मिलने लगी तो अनेक संस्थाओं द्वारा अब इसके निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

Created On :   8 April 2018 2:43 PM IST

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