महावितरण को मजबूत करने प्रदेश में बनाए 4 परिक्षेत्र, अब बन गए बोझ

Constructed 4 range to strengthen Mahavitaran, Now became burden
महावितरण को मजबूत करने प्रदेश में बनाए 4 परिक्षेत्र, अब बन गए बोझ
महावितरण को मजबूत करने प्रदेश में बनाए 4 परिक्षेत्र, अब बन गए बोझ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की पहल व कोशिशों के बाद महावितरण को राज्य में 4 भागों में बांटा गया था। उद्देश्य था कार्य का विकेंद्रीकरण करना। लेकिन 4 साल बीतने के बाद अब लगता है कि ये परिक्षेत्र महावितरण पर ही बोझ बन गए हैं। इसके अलावा दूसरे अधिकारियों पर अतिरिक्त भार आ पड़ा है। इससे जहां उनका कार्य प्रभावित हो रहा वहीं दूसरी ओर परिक्षेत्रों के कार्य ठप पड़े हुए हैं। 

लाभ की जगह हुई हानि 

वर्ष 2015 को ऊर्जामंत्री के प्रयासों से महावितरण के विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी।  यह बेहतर उद्देश्य के लिए लिया निर्णय था। नागपुर, औरंगाबाद, पुणे तथा कल्याण परिक्षेत्र बनाए गए। 2 अक्टूबर 2015 को ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने नागपुर परिक्षेत्र के कार्यालय का उद्घाटन कर इसकी शुरुआत की। हालांकि उस समय महाराष्ट्र राज्य इलेक्ट्रीसिटी वर्कर्स फेडरेशन सहित कई संगठनों ने इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि इससे पूर्व भी यह प्रयोग किया गया था, जो पूरी तरह विफल हुआ था। इससे लाभ की जगह उल्टा महावितरण को हानि ही उठानी पड़ी थी। ऊर्जामंत्री का कहना था कि परिक्षेत्रों को लक्ष्य देकर काम लिया जाएगा। इससे महावितरण को लाभ होगा। साथ ही कार्य का विकेंद्रीयकरण होने से हर काम के लिए मुंबई नहीं जाना पड़ेगा। 

शुरू से ही योजना रही विफल 

4 परिक्षेत्रों में से 2 परिक्षेत्रों में महावितरण को प्रादेशिक निदेशक नियुक्त करने थे, जबकि अन्य दो क्षेत्रों में सरकार को सह प्रबंध निदेशक नियुक्त करने थे। जोर-शोर से शुरू की गई यह योजना शुरू से ही विफल रही। नागपुर तथा पुणे परिक्षेत्र में महावितरण ने प्रादेशिक निदेशक तो नियुक्त कर दिए, लेकिन सरकार मई 17 तक सह प्रबंध निदेशक नियुक्त नहीं कर पाई। 17 मई को जब नागपुर परिक्षेत्र के प्रादेशिक निदेशक प्रसाद रेशमे को औरंगाबाद स्थानांतरित किया गया तो, उसी समय राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश बकोरिया की नियुक्ति औरंगाबाद परिक्षेत्र में कर दी। मई 2019 में उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया तब से यह पद खाली पड़ा है। दूसरी ओर नागपुर परिक्षेत्र से प्रसाद रेशमे का ट्रांसफर होने के बाद भालचंद्र खंडाईत को प्रादेशिक निदेशक बनाया गया। श्री खंडाईत ने जनवरी 2019 तक यह पद सफलतापूर्वक संभाला। जनवरी में वे निदेशक परियोजना बना दिए गए और महावितरण के मुंबई मुख्यालय पहुंच गए। तब से इस पद का प्रभार नागपुर परिमंडल के मुख्य अभियंता दिलीप घुगल संभाल रहे हैं। उन पर मुख्य अभियंता नागपुर परिमंडल और नागपुर परिक्षेत्र दोनों का भार है। 

पुणे परिमंडल का भी यही हाल

कमोबेश पुणे परिमंडल का भी यही हाल है। शुरू में संजय ताकसांडे को प्रादेशिक निदेशक बनाया गया। इस वर्ष मार्च में वे महाट्रांसको में निदेशक के पद पर चले गए, तब से यह पद खाली पड़ा है। कल्याण परिमंडल के तो हाल और भी खराब रहे। परिक्षेत्र बनने के बाद गुरुवार को पहली बार पूर्णकालिक प्रादेशिक निदेशक मिल सका है। राज्य सरकार ने इस पद पर आईएएस वी.एन कालम को नियुक्त किया है। बनने के बाद से ही इस पद का अतिरिक्त प्रभार भांडुप परिमंडल के मुख्य अभियंता सतीश करपे के पास था। पिछले वर्ष जून में इनके सेवानिवृत होने के बाद से श्रीकांत जलतारे को इस परिक्षेत्र का प्रभार सौंपा गया। फरवरी में वे भी रिटायर्ड हो गए। तब से यह पद खाली था। अब जा कर इस परिक्षेत्र को पूर्णकालिक सह प्रबंध निदेशक प्राप्त हो सका है।

महावितरण बुधवार को फिर जुटेगा कांग्रेस नगर में सुधार कार्य करने

महावितरण बुधवार को विद्युत संरचना के रखरखाव व सुधार कार्य के लिए कांग्रेस नगर के विभिन्न क्षेत्रों में सुबह 7 बजे से 11 बजे तक विद्युत आपूर्ति बंद रखेगा। हालांकि इन विभाग के उपभोक्ताओं का कहना है कि बुधवार के अलावा भी यहां की बिजली पूरे सप्ताह आती जाती रहती है। इससे महावितरण का यह दावा खोखला है कि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को निर्बाद्ध व सुचारू विद्युत आपूर्ति के लिए बुधवार को विद्युत संरचना का रखरखाव किया जाता है। जानकारी के अनुसार अजनी चौक, चूना भट्टी, केंद्रीय कार्यालय क्षेत्र, एफडीआई गोदाम, प्रताप नगर, लिंक रोड के इलाकों में आए दिन घंटो बिजली गुल रहती है। 
 

Created On :   25 Jun 2019 12:55 PM IST

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