ठेके पर चुनावी ड्यटी करने वाला वीडियोग्राफर सरकारी कर्मचारी नहीं, हाईकोर्ट ने रद्द किया मामला 

Contractual videographer not government staff involved in election, High Court quits case
ठेके पर चुनावी ड्यटी करने वाला वीडियोग्राफर सरकारी कर्मचारी नहीं, हाईकोर्ट ने रद्द किया मामला 
ठेके पर चुनावी ड्यटी करने वाला वीडियोग्राफर सरकारी कर्मचारी नहीं, हाईकोर्ट ने रद्द किया मामला 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकसेवक के निर्देश पर कार्य करने के बावजूद चुनावी ड्यूटी के लिए ठेके पर नियुक्त किए गए वीडियोग्राफर को सरकारी कर्मचारी नहीं माना जा सकता है।यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने चुनावी ड्यूटी पर लगे वीडियोग्राफर के साथ बदसलूकी व उसके कार्य में अवरोध पैदा करने के मामले में आरोपी एक अप्रवासी भारतीय महिला के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। महिला के खिलाफ वीडियोग्राफर की ओर से मुंबई महानगर पालिका के एक कर्मचारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। साल 2019 के चुनाव के दौरान कार से जा रही महिला को चेकिंग के लिए रोका गया था। लेकिन चेकिंग में सहयोग करने की बजाय महिला चुनावी ड्यूटी पर लगे वीडियोग्राफर के साथ बदसलूकी करने लगी। यही नहीं महिला ने वीडियोग्राफर का कैमरा भी छीन लिया। कैमरे से कार्ड रीडर भी निकाल लिया। इसके बाद इस घटना की जानकारी अंबोली पुलिस को दी गई। पुलिस ने महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353,186 व 427 के तहत मामला दर्ज किया। जांच के बाद महिला के खिलाफ पुलिस ने अंधेरी कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया। 

आरोपी महिला ने खुद के खिलाफ दर्ज इस मामले व आरोपपत्र को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी महिला की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आशीष वर्मा ने कहा कि पुलिस ने उनके खिलाफ गलत मामला दर्ज किया है। क्योंकि मेरे मुवक्किल पर जिस कर्मचारी के काम में अवरोध पैदा करने व बदसलूकी का आरोप है, वह सरकारी कर्मचारी नहीं था। वह ठेके पर नियुक्त किया गया कर्मचारी था। ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है है कि मेरी मुवक्किल ने सरकारी कर्मचारी के साथ अशिष्ट बरताव किया है। इसलिए मेरे मुवक्किल के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किया जाए। 

वहीं दूसरी ओर सरकारी वकील जे पो याग्निक ने खंडपीठ के सामने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वीडियोग्राफर सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर काम कर रहा था। इसलिए पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सही मामला दर्ज किया है। आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। अब प्रकरण को लेकर पुलिस ने आरोपपत्र भी दायर कर दिया है। इसलिए मामले को रद्द न किया जाए। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि ठेके पर नियुक्त वीडियोग्राफर सरकारी कर्मचारी होने के मापदंडों को पूरा नहीं करता है। इसलिए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी के कार्य में अवरोध पैदा करना) के तहत मामला नहीं दर्ज किया जा सकता है। इसलिए आरोपी के खिलाफ दर्ज किए गए मामले व आरोपपत्र को रद्द किया जाता है। 

Created On :   13 March 2021 6:04 PM IST

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