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बॉम्बे हाई कोर्ट: समीर वानखेडे को सीबीआई और ईडी के मामले में अंतरिम राहत बरकरार, अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई से संतुष्ट

- आईआरएस अधिकारी समीर वानखेडे को सीबीआई और ईडी के मामले में अंतरिम राहत बरकरार
- सीबीआई ने अदालत से मामले की जांच तीन महीने में पूरा करने का दिया आश्वासन
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से मंगलवार को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेडे को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आर्यन खान रिश्वत मामले में अंतिम राहत मिली। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने जांच पूरी करने में देरी को लेकर एजेंसी से सवाल किया, तो सीबीआई ने बताया कि वह समीर वानखेडे के खिलाफ 3 महीने में जांच पूरी कर लेगी। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने समीर वानखेडे की याचिका पर जांच पूरी करने में देरी को लेकर सीबीआई से सवाल करते हुए पूछा कि आप कितने साल में जांच पूरी करेंगे, 10 साल या 20 साल लगेगा? सीबीआई के वकील कुलदीप पाटिल ने पीठ से शुरू में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा, तो अदालत ने इनकार कर दिया। इसके बाद पाटिल ने कहा कि जांच तीन महीने के भीतर समाप्त हो जाएगी। वानखेडे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने बार-बार देरी पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि मामला लगभग दो साल से रुका हुआ है। सीबीआई हर बार कहती है कि सॉलिसिटर जनरल बहस करने के लिए उपस्थित होंगे। इससे मेरे मुवक्किल के करियर पर असर पड़ रहा है। उनकी पदोन्नति रुकी हुई है। अगर अदालत मामले को स्वीकार करती है, तो हम राहत के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सीबीआई ने एक बार फिर उसी आधार पर स्थगन की मांग की, लेकिन अदालत ने कहा कि यह एक बहाना बन गया है और एजेंसी से एक निश्चित समय सीमा देने को कहा। सीबीआई इस अवधि के दौरान अदालत की अनुमति प्राप्त करने के अधीन आरोप पत्र दाखिल करने के साथ आगे बढ़ सकती है। एनसीबी द्वारा आरोप लगाया गया कि वानखेडे और अन्य ने क्रूज शिप ड्रग्स मामले की जांच के दौरान खान के बेटे आर्यन खान के साथ अनुकूल व्यवहार के बदले में उनसे पैसे ऐंठने का प्रयास किया, जिसमें आर्यन खान एक आरोपी था। वानखेडे पर मई 2023 में सीबीआई ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान से उनके बेटे को छोड़ने के लिए कथित तौर पर 25 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था। वानखेडे ने आरोपों से इनकार करते हुए मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ पर्याप्त और गंभीर प्रयास किए हैं। इसलिए उस पर कोई अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष पचलाग द्वारा दायर 2018 की जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका में ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने वाले अवैध लाउडस्पीकरों पर हाई कोर्ट के अगस्त 2016 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का अनुरोध किया गया था। पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला द्वारा दायर हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष अप्रैल तक विभिन्न धार्मिक स्थलों द्वारा 2812 लाउडस्पीकरों का उपयोग किया जा रहा था। इनमें से 343 को हटा दिया गया और 831 लाउडस्पीकरों को लाइसेंस और अनुमति दी गई। 767 धार्मिक स्थलों को नोटिस जारी कर उन्हें शोर डेसिबल सीमा से अधिक न करने की चेतावनी दी गई और 19 मामलों में एफआईआर दर्ज किया है। सरकारी वकील नेहा भिड़े ने पीठ को बताया कि ऐसे अवैध लाउडस्पीकरों के विरुद्ध की गई कार्रवाई की निगरानी के लिए पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है। पीठ ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि हाई कोर्ट के 2016 के निर्देशों का अनुपालन किया गया है। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अधिकारियों ने आदेश का पर्याप्त रूप से पालन किया है। इस न्यायालय के निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि अधिकारियों ने आदेश का पालन करने के लिए पूरी ईमानदारी से प्रयास किया है। इसलिए कोई अवमानना का मामला नहीं बनता है और अवमानना याचिका का निपटारा किया जाता है।
Created On :   8 July 2025 9:57 PM IST