Mumbai News: विधानसभा में लगे लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करते विधायक, कागजों के भरोसे ही रहते हैं मंत्री

विधानसभा में लगे लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करते विधायक, कागजों के भरोसे ही रहते हैं मंत्री
  • साल 2017 में पेपरलेस विधानसभा की हुई थी शुरुआत, खर्च हुए थे 5 करोड़
  • नहीं करते लैपटॉप का इस्तेमाल
  • उस समय भी ट्रेनिंग की उठी थी मांग

Mumbai News. महाराष्ट्र सरकार ने विधानमंडल की कार्यवाही को पेपरलेस बनाने के लिए विधानसभा और विधान परिषद में सदस्यों के लिए महंगे लैपटॉप खरीदे हैं ताकि सदन में बैठे हुए सदस्य पेपर का इस्तेमाल करने की बजाय जानकारी सीधे लैपटॉप के जरिए हासिल कर सकें। साल 2017 में इसकी शुरुआत विधान परिषद से हुई थी। इसके बाद विधानसभा में इन लैपटॉप को लगाया गया। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साल 2023 में भी विधानसभा में सदस्यों से कागज की जगह इन लैपटॉप का इस्तेमाल करने की अपील की थी। लेकिन शिंदे की अपील के 2 साल बीत जाने के बाद इन लैपटॉप को इक्का-दुक्का सदस्यों को छोड़कर कोई इस्तेमाल करता हुआ नहीं दिखता। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री एवं सदस्य कागजों के भरोसे रहते हैं। ऐसे में सरकार की पेपरलेस मंशा पर पानी फिरता हुआ दिख रहा है।

इसलिए नहीं करते लैपटॉप का इस्तेमाल?

समाजवादी पार्टी के सदस्य रईस शेख ने दैनिक भास्कर को बताया कि मैं कभी कभार मेरी सीट पर लगे लैपटॉप का इस्तेमाल जानकारी हासिल करने के लिए कर लेता हूं। चूंकि इन लैपटॉप को ऊंची टेबल पर लगाया गया है जिससे स्क्रॉल करना मुश्किल होता है। इन्हें उंगली से ही चलाना पड़ता है, जिससे चलाने में मुश्किलें आती हैं। वहीं भाजपा की एक महिला सदस्य ने बताया कि जैसे ही हम विधानसभा में दाखिल होते हैं तो रोजाना के कामकाज की पत्रिका एवं संबंधित कागजात हमें सदन में प्रवेश करते ही मिल जाते हैं। इसलिए लैपटॉप को चलाने की आवश्कयता नहीं पड़ती। हालांकि इस महिला सदस्य ने यह भी कहा कि विधानसभा और परिषद की कार्यवाही की जानकारी एक क्लिक पर मिल जाती है। अकोला पश्चिम से कांग्रेस सदस्य साजिद पठान ने बताया कि क्योंकि वह पहली बार विधानसभा में चुनकर आए हैं, इसलिए कौन सी जानकारी कहां मिलेगी, इसकी ट्रेनिंग उन्हें नहीं मिली है। अगर हर विधानसभा सत्र से पहले सदस्यों को इन लैपटॉप को चलाने की ट्रेनिंग दी जाए तो इससे कागजों का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लग सकती है।

दोनों सदनों में लगाए गए हैं लैपटॉप

साल 2017-18 में केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान को देखते हुए विधानमंडल के दोनों सदनों में सदस्यों की टेबल पर अलग-अलग लैपटॉप लगाने की मांग शुरू हुई थी। इस योजना पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। साल 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के मानसून सत्र में सभी सदस्यों से पेपर की जगह लैपटॉप का इस्तेमाल करने की अपील की थी। हालांकि शिंदे की अपील के 2 साल बीत जाने के बाद अब भी कोई सदस्य टेबल पर लगे इन लैपटॉप का इस्तेमाल करता हुआ नहीं दिखता है।

उस समय भी ट्रेनिंग की उठी थी मांग

साल 2023 में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान राकांपा (शरद) सदस्य जयंत पाटील ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग करते हुए कहा था कि सभी सदस्यों की टेबल पर जो लैपटॉप लगाए गए हैं, उसकी चलाने की ट्रेनिंग दी जाए। पाटील ने कहा था कि बहुत से सदस्यों को लैपटॉप चलाना नहीं आता, जबकि इस लैपटॉप से सदन में बैठे-बैठे सभी कार्य किए जा सकते हैं। विधानमंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार किसी भी सदस्य ने इन कंप्यूटर को चलाने के लिए कभी ट्रेनिंग की मांग नहीं की है।

Created On :   6 July 2025 9:36 PM IST

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