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सिंगल मदर्स का क्या कहना, बैचलर भी हैं घर का गहना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सिंगल ,बैचलर लाइफ को लोग आजाद भरी जिंदगी समझते हैं लेकिन संतरानगरी में ऐसे कई लोग हैं जो सिंगल, बैचलर रहते हुए हर जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं। शहर में कई सिंगल मदर्स हैं, तो बैचलर भी। सिंगल मदर्स को हालांकि बच्चे की परवरिश करने में प्रॉबलम होती है, इसलिए उन महिलाओं को थोड़ा दयाभाव की दृष्टि से देखा जाता है। साथ ही समाज में ऐसी कई गर्ल्स हैं, जो शादी को जरूरी नहीं मानती है। उनका सोचना है कि जिस घर में रहकर बड़े हुए उसी घर में आखिरी समय तक रहें। साथ ही अपना जीवन पैरेंट्स की सेवा में व्यतीत करें। शहर में सिंगल मदर तथा अविवाहित गर्ल्स से बातचीत के दौरान पता चला कि वे अपनी लाइफ से काफी खुश हैं तथा उन्हें अपने फैसले से कोई पछतावा नहीं है।
चुनौती बड़ी थी
जिंदगी में कौन सा समय कब कैसा आ जाए, इसके बारे में कोई नहीं बता सकता। मेरी शादी के एक माह बाद ही, जब मैं गर्भवती हुई, तो पति ने मुझे छोड़ने का फैसला लिया। मेरे सामने बहुत बड़ी चुनौती थी, पर मैंने इसे स्वीकार किया। मैंने जुड़वा बेटों काे जन्म दिया। परिवार वालों ने कहा दूसरी शादी करवा देते हैं, पर मैंने साफ इनकार कर दिया। पहले हादसे से इतनी बड़ी चोट मिलने के कारण ऐसा फैसला दोबारा की, तो बात ही नहीं थी। आज मेरे बेटे 14 वर्ष के हैं और मुझे इस बात की खुशी है कि मैं नौकरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही हूं। मेरे मायके वालों का मुझे बहुत सपोर्ट मिला है। अपने बच्चों को मां-पिताजी दोनों का प्यार दे रहीं हूं। उन्हें किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देती हूं ।( दीपाली चौधरी, सिंगल मदर)
बैचलर रहकर कर रहीं पैरेंट्स की सेवा
हमारे पैरेंट्स हमें छोटे से बड़ा करते हैं, पर जब उन्हें हमारी जरूरत होती है, तब हम उनके साथ नहीं होते हैं। मैं सिंगल गर्ल चाइल्ड हूं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, जब मेरी जॉब लगी, तब पैरेंट्स ने मेरी शादी की बात शुरू कर दी, पर मैंने उनसे कहा कि शादी नहीं करूंगी। तब उन्हें इस बात का बहुत सदमा लगा। वो बोले बेटा हमारे बाद तुझे कौन देखेगा, तो मैंने उनसे कहा कि आप मेरी चिंता मत कीजिए। मैं अपना ध्यान रख सकती हूं। मैंने उनसे कहा कि इस बात की क्या गारंटी है कि शादी के बाद मुझे अच्छा लड़का मिलेगा। अगर उसने मुझे छोड़ दिया, तो फिर इस दुख को आप कैसे बर्दाशत करेंगें। मेरे पैरेंट्स मेरे इस फैसले से खुश हैं और मैं उनका पूरा ध्यान रखती हूं। ऑफिस से आकर अपना वक्त उन्ही के साथ बिताती हूं। ( निवेदिता प्यासी, बैचलर)
आर्थिक मजबूती है जरूरी
मैंने बच्ची को एडाप्ट किया है। पैरेंट्स का कहना था कि शादी कर लो, पर अपनी बड़ी बहन के साथ शादी के बाद हुए व्यवहार से मैंने उसी वक्त फैसला ले लिया था कि शादी नहीं करूंगी। फिर हमने एक बच्ची को एडाप्ट किया। मैं गारमेंट जॉब में हूं। पैरेंट्स भी फाइनेंशियल रूप से बहुत स्ट्रांग हैं। इसलिए हम दोनों बहनों ने बच्ची को एडाप्ट कर उसका पालन-पोषण कर रहे हैं। समाज के लोगों ने भी हमारा बहुत सपोर्ट किया। हम बहनें अपनी जिंदगी से बहुत खुश हैं और हमारे पैरेंट्स ने भी हमारे फैसले का सम्मान किया। (अनुप्रिया और अनुमेहा निगम, सिस्टर्स)
@दीप्ति मुले
Created On :   4 May 2018 3:54 PM IST