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पार्ट टाइम काम करने पर मजबूर कुली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक ओर नागपुर रेलवे स्टेशन हाईटेक हो रहा है। वहीं दूसरी ओर किसी का रोजगार छीनते जा रहा है। हम बात कर रहे हैं, यहां वर्षों से काम करने वाले कुलियों के बारे में। कार टू कोच प्लेटफार्म से लेकर स्टेशन के हर प्लेटफार्म पर लगती स्वचलित सीढ़ियों के कारण कुलियों को काम मिलना मुश्किल हो गया है। बढ़ती महंगाई में घर चलाने के लिए अब उन्हें स्टेशन पर ही पार्ट टाइम ही काम करना पड़ रहा है। बाकी का समय वह बाहर काम करने में गुजार रहे हैं।
मध्य रेलवे जोन के मुख्य स्टेशनों में शामिल नागपुर रेलवे स्टेशन पर रोजाना हजारों की संख्या में यात्रियों का आवागमन लगा रहता है। भारी भरकम लगेज की ढुलाई के साथ व्हील चेयर खींचने के लिए कुली अहम भूमिका निभाते हैं। इसी काम पर कुलियों का उदनिर्वाह होते रहता है। वर्ष 2008 तक यहां 274 कुली काम करते थे, लेकिन इसके बाद तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुलियों को रेलवे कर्मचारियों में शामिल किया। जिसके बाद 150 कुली तब से लेकर अब तक नागपुर स्टेशन पर काम कर रहे हैं। अब तक तो सभी दो शिफ्ट में काम कर अपने परिवार का उदनिर्वाह करने में सफल हो रहे थे। लेकिन इन दिनों इन्हें काम मिलना ही बंद हो गया है। जिसका मुख्य कारण स्टेशन पर बदलती सुविधा है।
दरअसल नागपुर स्टेशन पर गत 5 वर्षों में काफी बदलाव देखने मिला है। जिसमें प्लेटफार्म नंबर 8 को कार टू कोच करना, स्टेशन के दोनों तरफ स्वचलित सीढ़ियां लगाना, परिसर में बैटरी कार का संचालन और अब हर प्लेटफार्म पर स्वचलित सीढ़ियों का जुगाड़ ऐसे में अब यात्रियों को कुलियों की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं हो रही है। रही-सही कसर ऑटोवाले पूरी कर देते हैं। परिसर के अंदर आकर लगेज लाना-ले-जाना करने से यात्रियों को कुलियों की जरूरत ही महसूस नहीं होती है। परिणामस्वरूप एक कुली को दिनभर में ब-मुश्किल से 2 सौ से ढाई सौ रुपये मिल रहे हैं, लेकिन परिवार बड़ा रहने से इतना काफी नहीं है। ऐसे में अधिकांश कुली बाहर पार्ट टाइम काम करते हुए अपनी जरूरतों को पूरा करने में लग गये हैं। इनमें कई कुली राजस्थान से आये हैं। कई बार इनमें से बहुतांश कुली कुछ समय के लिए खेती करने के लिए गांव भी चले जाते हैं।
Created On :   22 April 2019 4:23 PM IST