सहकारी दूध महासंघ के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मिली राहत

Cooperative Milk Federation employees get relief from electoral duty
सहकारी दूध महासंघ के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मिली राहत
सहकारी दूध महासंघ के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने चुनावी ड्यूटी के लिए महाराष्ट्र राज्य सहकारी दूध महासंघ (मर्यादित) के कर्मचारियों को उपलब्ध कराए जाने की चुनाव आयोग की मांग पर रोक लगा दी है। जबकि याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया है। चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी ने महासंघ को 1 अगस्त 2019 को चुनावी ड्यूटी के लिए कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की मांग को लेकर नोटिस जारी किया था। इस नोटिस को रद्द करने अथवा रोक लगाए जाने की मांग को लेकर महासंघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान महासंघ की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल अंतुडकर ने दावा किया कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 29 के तहत याचिकाकर्ता की संस्था से जुड़े कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी के लिए नहीं बुलाया जा सकता। क्योंकि याचिकाकर्ता की संस्था कोई स्थानीय निकाय नहीं है। इस संस्था पर केंद्र अथवा राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। संस्था को सरकार से कोई वित्तीय सहयोग भी नहीं मिलता है। इसके अलावा कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में उपलब्ध कराने के लिए सक्षम अधिकारी ने नोटिस नहीं जारी किया है। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों की प्रति भी पेश की। वहीं सहायक सरकारी वकील ने कहा कि यह याचिका काफी विलंब से दायर की गई है। इसलिए इस पर सुनवाई न की जाए। 

हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक 

खंडपीठ ने सरकारी वकील की दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया इस मामले में अंतरिम राहत देने का मामला बनता है। क्योंकि याचिकाकर्ता एक सहकारी संस्था है और उसके कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। इस लिहाज से वे याचिका दायर कर सकते हैं। यह कहते हुए खंडपीठ ने आयोग की ओर से 1 अगस्त 2019 को जारी की गई नोटिस पर रोक लगा दी और याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया। 
 

Created On :   3 Oct 2019 2:30 PM GMT

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