कोरोना : 41 शिक्षकों की रिपोर्ट पॉजिटिव, मेडिकल में नॉन कोविड मरीजों के 67% बेड फुल

Corona: 41 teachers report positive, 67% of non-covid patients beds full in medical
कोरोना : 41 शिक्षकों की रिपोर्ट पॉजिटिव, मेडिकल में नॉन कोविड मरीजों के 67% बेड फुल
कोरोना : 41 शिक्षकों की रिपोर्ट पॉजिटिव, मेडिकल में नॉन कोविड मरीजों के 67% बेड फुल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा के आदेशानुसार अब शहर के स्कूल 13 दिसंबर तक बंद रहेंगे। कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है, मगर इसके पहले जब राज्य सरकार ने 23 नवंबर से स्कूल खोलने के आदेश जारी किए थे, तो उसके लिए गाइडलाइंस जारी किए गए थे। इसमें सबसे अहम था शिक्षकों को कोविड की आरटीपीसीआर टेस्ट। अनिवार्य रूप से शिक्षकों को यह जांच करानी थी। हैरत यह है कि शहर समेत जिले के 6 हजार 823 शिक्षकों ने जांच कराई, तो उसमें 41 शिक्षकों की िरपोर्ट पॉजिटिव आई। मनपा के अधिकार क्षेत्र के 593 स्कूलों में 6252 और ग्रामीण क्षेत्र के 657 स्कूलों में 5779 कुल मिलाकर 12 हजार 31 शिक्षक हैं। इसमें से मनपा अधिकार क्षेत्र के 3 हजार 650 और ग्रामीण क्षेत्र के 3 हजार 173 शिक्षकों ने आरटीपीसीआर जांच कराई। 75 प्रतिशत शिक्षकों की रिपोर्ट आ चुकी है। नागपुर शहर के 16 शिक्षकों की िरपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसमें मनपा के एक शिक्षक का समावेश है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के 25 शिक्षक पॉजिटिव आए हैं। अन्य शिक्षकों की रिपोर्ट रविवार को आने की संभावना है। 
एक मनपा शिक्षक पॉजिटिव : शनिवार को मनपा के 250 शिक्षकों ने टेस्ट कराई। इसमें से एक शिक्षक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मनपा ने शिक्षकों की नि:शुल्क जांच कराने की हामी भरी है। शहर में 50 कोविड टेस्टिंग सेंटर व 6 सहायक केंद्र है। शिक्षक किसी भी टेस्टिंग सेंटर से कोविड जांच करा सकते हैं । ग्रामीण क्षेत्र में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण तथा उपजिला अस्पतालों में आरटीपीसीआर टेस्ट सुविधा उपलब्ध है।

मेडिकल में नॉन कोविड मरीजों के 67% बेड फुल

उधर कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इसमें उतार-चढ़ाव भी चल रहा है। शुरुआत में कोरोना के कारण अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों की संख्या काफी कम हो गई थी, लेकिन एक बार फिर अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। आंकड़ों के अनुसार मेडिकल में वर्तमान में 67 प्रतिशत नॉन कोविड मरीजों के बेड भर चुके हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों की संख्या फिर से सामान्य होने लगी है। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (मेयो) और शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। इन अस्पतालों में शहर और जिले के बाहर के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं। इन दोनों अस्पतालों में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल तैयार किए गए हैं। कोरोना के कारण परिवहन भी बंद हो गया था और संक्रमण के डर से लोगों ने अस्पताल में जाना बंद कर दिया था। अब फिर से सब कुछ अनलॉक होने और कोरोना का डर खत्म होने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। मेडिकल में कुल 31 नाॅन कोविड वॉर्ड हैं। इनमें करीब 837 बेड हैं। इन बेड में से 563 मरीज वर्तमान में भर्ती हैं। यानी 67 प्रतिशत बेड फुल हैं। मेडिकल के ट्रॉमा सेंटर को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में बदला गया है। मेडिकल में 1000 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए आरक्षित किए गए हैं। वर्तमान में 187 कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। इलाज के लिए डॉक्टरों के साथ ही  मेडिकल  स्टाफ को भी लगाया जाता है। स्टाफ की ड्यूटी शिफ्ट के अनुसार चलती है जिसमें स्टाफ को सात दिन क्वारेंटाइन किया जाता है। इसके कारण नॉन कोविड मरीजों के लिए स्टाफ कम पड़ता है। वॉर्ड में केवल दिन में नर्स की ड्यूटी रहती है। सबसे ज्यादा कमी नर्सिंग स्टाफ की है। इससे नॉन कोविड मरीजों की सुविधाओं पर प्रभाव पड़ रहा है।

दिवाली बाद पोस्ट कोविड मरीजों की संख्या बढ़ी

जैसे-जैसे संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। इसमें ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और काम के समय जल्द थकान होने की समस्याएं आ रही है। दिवाली के बाद पोस्ट कोविड ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। नवंबर माह में दिवाली से पहले तक कुल 88 मरीज आए। दिवाली बाद 7 दिन में ही 52 मरीज आए।

प्रदूषण भी एक मुख्य कारण 

आंकड़ों के अनुसार नवंबर माह में 1 से 21 तारीख तक कुल 140 पोस्ट कोविड मरीज आए। इसमें से 1 से 14 तारीख यानी 14 दिन में कुल 88 मरीज आए, जबकि 15 से 21 नवंबर तक यानी 7 दिन में ही 52 मरीज आ चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार मरीजों की संख्या अधिक रहने का एक मुख्य कारण दिवाली के समय होने वाली साफ-सफाई के कारण धूल-मिट्टी, रंगाई-पुताई की गैस और पटाखों से निकलने वाला धुआं भी है। इन सभी के कारण प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है।  कोरोना के कारण लंग्स पर प्रभाव पड़ता है और संवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में दूसरी बीमारियां होने और समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है। मुख्य समस्या इसमें लंग फाइब्रोसिस देखी गई है। इससे पूर्व अक्टूबर माह में कुल 183 पोस्ट कोविड मरीज मेडिकल की ओपीडी में आए थे। 

ग्रामीण और शहर में 11 लोगों की मौत, 363 नए मरीज मिले

शनिवार को जिले में कुल 16 मौतें दर्ज की गईं। पिछले कुछ दिनों से मौत का आंकड़ा 5 से 10 के बीच चल रहा था, जो कि शनिवार को 16 हो गया। मृतकों में ग्रामीण और शहर के संक्रमितों की मौत भी बढ़ी है।  इसके साथ ही 363 नए मरीज मिले हैं। जिले में शनिवार को 6851 सैंपलों की जांच की गई। दैनिक जांच किए जाने वाले नमूनों में भी बढ़ाेतरी हो रही है। पिछले 24 घंटे में जिले में 363 नए मरीज मिले। इन मरीजों में 53 ग्रामीण, 305 शहर और 5 जिले के बाहर के हैं। संक्रमितों की जांच में 27 नए संक्रमित एम्स की जांच में सामने आए। इसी तरह 150 मेडिकल, 26 मेयो, 9 माफसू, 19 नीरी, 15 नागपुर यूनिवर्सिटी, 90 निजी लैब और 27 संक्रमित अलग-अलग केंद्रों पर हो रही एंटीजन जांच में सामने आए। कुल संक्रमितों की संख्या 108363 हो चुकी है। इसी के साथ ही 16 लोगों मृत्यु दर्ज हुई। जिसमें 6 ग्रामीण, 5 शहर और 5 जिले के बाहर के हैं। शनिवार को 208 मरीज डिस्चार्ज किए गए। इसके साथ कुल डिस्चार्ज मरीजों की संख्या 101009 पर पहुंच गई है। साथ ही रिकवरी दर 93.21 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वर्तमान में 3768 मरीज एक्टिव हैं। इनमें से 525 ग्रामीण 3243 शहर के हैं। इनमें से 2426 होम आइसोलेट हैं। 1342 कोविड केयर सेंटर, िनजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं।

 
 


 

Created On :   22 Nov 2020 3:44 PM IST

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