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जिला परिषद की तिजोरी खाली, योजना से वंचित रहेंगे लाभार्थी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के सेस फंड से ग्रामीणों के लिए व्यक्तिगत लाभ की विविध योजनाएं चलाई जाती हैं। काेविड के चलते जिला परिषद आर्थिक संकट में है। मुद्रांक शुल्क के रूप में सरकार से 50 करोड़ रुपए मिलना अपेक्षित है, लेकिन फूटी कौड़ी नहीं मिलने से जिप की तिजोरी खाली है। निधि के अभाव में व्यक्तिगत योजना से लाभार्थी वंचित रह सकते हैं।
आवश्यक खर्च को प्राथमिकता
कोविड का जिप की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ा है। गत 3-4 साल से मुद्रांक शुल्क निधि सरकार पर बकाया है। तिजोरी खाली होने से आवश्यक कार्यों पर ही खर्च को प्राथमिकता देने का वित्त व लेखा अधिकारी ने सुझाव दिया है। िवत्तीय वर्ष 2020-2021 में तत्कालीन सीईओ ने 33.89 करोड़ और चालू वित्तीय वर्ष का वित्त समिति सभापति भारती पाटील ने 33.47 करोड़ का बजट पेश किया। बजट में अपेक्षित आय प्राप्त नहीं हो पाने से योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हुआ।
महीनेभर का नियमित खर्च एक करोड़
जिला परिषद का महीनेभर में नियमित कार्यालयीन खर्च एक करोड़ है। जलापूर्ति, स्वास्थ्य सेवा, इमारत देखभाल-दुरुस्ती, कार्यालयीन खर्च, पदाधिकारियों का मानधन, वाहन देखभाल दुरुस्ती ईंधन खर्च, टेलीफान, बिजली, पानी, महिला व बाल कल्याण तथा समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का अनुशेष आदि खर्च का समावेश है। जिला परिषद के सेस फंड में जमा रकम से यह खर्च चलाए जाते हैं। इसे पूरा करने के लिए भी सेस फंड में रकम उपलब्ध नहीं रहने की जानकारी मिली है।
जिला परिषद के शिक्षण, कृषि, महिला व बाल कल्याण तथा समाज कल्याण विभाग के माध्यम से व्यक्तिगत लाभ की विविध योजनाएं चलाई जाती हैं। इन योजनाओं में विद्यार्थियों के लिए साइकिल, किसानों के लिए मोटर पंप, डीजल इंजन, ताड़पत्री, कृषि उपकरण, स्प्रे पंप, पाइप, महिलाओं के लिए कांडप मशीन, सिलाई मशीन, दिव्यांगों के लिए जेरॉक्स मशीन, तीन पहिया साइकिल, बैंड सामग्री आदि योजनाओं का समावेश है।
Created On :   3 Oct 2021 3:13 PM IST