कोरोना के डर ने बदली जीवन शैली, अब वीआईपी महिलाएं घर के कामों में हुईं व्यस्त

Coronas fear changed lifestyle, now VIP women busy in house works
कोरोना के डर ने बदली जीवन शैली, अब वीआईपी महिलाएं घर के कामों में हुईं व्यस्त
कोरोना के डर ने बदली जीवन शैली, अब वीआईपी महिलाएं घर के कामों में हुईं व्यस्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वीआईपी महिलाएं आमतौर पर विभिन्न कारणों से घर के कामों से दूर ही रहती हैं। खाना बनाने से लेकर कपड़े आदि का काम बाई या नौकर-चाकर ही करते हैं, लेकिन कोरोना के कारण बाई या नौकर-चाकर की छुट्टियां होने से ये महिलाएं पूरी तरह घर के किचन से लेकर अन्य काम संभाल ली हैं। कोई रोटी बना रही, तो किसी घर की साफ-सफाई की जिम्मेदारी संभाल है। कोई कोई बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रही है। उनकी लाइफ आम महिलाओं की तरह हो गई है। दिन-भर घर के काम करना, बच्चाें और परिवार की तरफ ध्यान देना ही दिनचर्या बन गई है। दैनिक भास्कर ने वीआईपी महिलाओं से चर्चा की और उनके अनुभवों को शेयर किया।

आम गृहिणी की भूमिका में अच्छा लग रहा

मनीषा कोठे, उपमहापौर ने कहा कि कोरोना ने कम से कम समय परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। हर कोई अपने परिवार को समय दे रहा है। मेड को छुट्टी देने के कारण घर के काम की तरफ मेरा पूरा ध्यान है। बेटे को भी समय दे पा रहीं हंू। आज मैंने सभी को रोटी बनाकर खिलाई। महिलाएं मल्टी टास्किंग होती हैं। वे घर और बाहर के कामाें को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाती हैं। आम गृहणी की भूमिका में अच्छा लग रहा है। सुबह उठते ही परिवार के सभी सदस्यों के लिए चाय बनाने से लेकर रात का खाना भी बना रहीं हूं।


आत्म परीक्षण के लिए मिल रहा समय

सदस्य राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सुलेखा कुंभारे के मुताबिक वैसे तो हमेशा ही काम में व्यस्त रहते हैं। कोरोना के कारण ऑफिस की छुट्टी है। इसलिए पूरा समय घर में दे रही हूं। मैं विपश्यना साधक हंू। सबसे बड़ी बात इन दिनों आत्म परीक्षण के लिए समय मिल रहा है। कोरोना के कारण घर की मेड को छुट्टी दे दी है। मैं ज्यादातर घर का काम खुद ही करती हंू। अभी तो पूरा समय परिवार के साथ बीत रहा है। सुबह की शुरुआत मेडिटेशन से होती है। फिर घर की सफाई से लेकर खाना बनाने तक का काम कर रही हंू।


घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी

डॉ भावना सोनकुसरे,उपसंचालक मनपा स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि हमारा तो काम ही जनता की सेवा करना है। कोरोना के कारण ऑफिस में हर कोई इंक्वायरी कर रहा है। किसी के घर के पास या जान-पहचान में कोई भी नया व्यक्ति आता है, तो वे ऑफिस में जानकारी के लिए फोन करते हैं। सुबह से शाम तक लगभग 100 से 150 फोन आते हैं। सुबह 8 बजे घर से निकलती हूं ओर रात में 11 बजे घर पहंुच पाती हंू। मेड छुट्टी पर होने से सुबह उठकर घर के पूरे काम करके आती हंू। हसबैंड भी डॉक्टर हैं, इसलिए हम दोनों की ड्यूटी का कोई टाइम नहीं है। मैं सुबह घर का काम निकालती हंू।

 

Created On :   25 March 2020 4:57 PM GMT

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