- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- छिंदवाड़ा
- /
- कपास पर शुरू हुआ डेंडू इल्ली का...
कपास पर शुरू हुआ डेंडू इल्ली का हमला, प्रकोप फैला तो हाथ से जाएगी फसल

डिजिटल, छिन्दवाड़ा/सौंसर। कपास पर डेंडू (बोंड) इल्ली का हमला शुरु हो गया है। इल्ली का प्रकोप बढ़ने पर फसल हाथ से जाने की चिंता किसानों को सता रही हैं। इल्ली का प्रकोप उन खेतों में हो रहा है, जहां बारिश पूर्व (जून माह के प्रथम सप्ताह) कपास की बोवनी हुई है। किसानों ने कीटनशानक का छिड़काव शुरु किया, लेकिन इल्ली डेंडू के भीतर होने से उपाए बेअसर साबित हो रहे हैं।
इल्ली के प्रकोप की खबर फिलहाल पिपलानारायणवार क्षेत्र से आ रही है। 6 जून को कपास की बोवनी करने वाले किसान शैलेश त्रिवेदी बताते हैं की बीते चार दिन से डेढ़ एकड़ खेती में कपास पौधों पर आए बोंड पर इल्लीयां दिख रही हैं। ढोकडोह के सूर्यभाव ठवले ने बताया कि कपास में प्रथम क्राप में निकले बॉल को इल्ली ने डैमेज करना शुरु कर दिया है। किसानों का कहना है कि एक बार इल्ली का हमला होने पर बॉल को बचाना संभव नहीं है। किसान इस बात को लेकर चिंतित है कि इल्ली का प्रकोप बढ़ा तो पूरी फसल ही हाथ से जाएगी। गौरतलब है कि ब्लाक में कपास का रकबा 32 हजार हेक्टेयर में है, इसमें 90 फीसदी किसान बीटी कपास लेते है, पिपला क्षेत्र में 4 हजार हेक्टेयर में कपास फसल है।
इसलिए बढ़ रहा प्रकोप
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बोंड इल्ली का प्रकोप बीटी कॉटन पर होता है। बीते कुछ वर्षो में बीटी कॉटन में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो रही है। आत्मा परियोजना के ब्लाक टेक्नालाजी मैनेजर पंकज पराडकर कहते है कि बीटी कपास बोवनी के दौरान खेत के चारों और एक या दो लाईन नाना बीटी कपास की बोवनी करना आवश्यक होता है, किसान ऐसा करता नहीं है। बीटी बीज के साथ मिलने वाला नाना बीटी बीज किसान फेंक देता है।
किसान यह उपाय करें
डेंडू इल्ली से फसल को बचाने के लिए किसान कीट नाशक का स्प्रे करने की बजाए खेतों में लाईट ट्रेप का उपयोग करें। इससे कीट लाईट ट्रेप की और आकर्षित होकर खत्म होंगे। वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी आरजी जीवतोडे का कहना है कि किसान लाईट ट्रेप व फेरोमोन ट्रेप का उपयोग करें। यह कृषि विभाग में उपलब्ध है नाम मात्र की राशि जमा कर किसान इसे खरीद सकते हैं।

डेंडू इल्ली फसल के बॉल के भीतर होती है। इल्ली के उन्मूलन के लिए किए जाने वाले कीटनाशक स्प्रे इस पर बेअसर साबित होता है। बीते वर्ष इल्ली के प्रकोप से तीन एकड़ की फसल उखाड़ फेकने वाले मोहगांव के किसान दिपक कुरहाडे का कहना है कि फसल पर एक बार डेंडू इल्ली का हमला हुआ तो फिर उसे बचाया नहीं जा सकता।
Created On :   7 Aug 2018 4:08 PM IST