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देश के इस पायलट प्रोजेक्ट का उपराजधानी में हुआ बुरा हाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सार्वजनिक टैक्सी कैब सेवा को इलेक्ट्रिक कार मोड में तब्दील कर वर्ष 2030 तक 1 गीगाटन अर्थात 10 खरब किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन घटाने का सपना देखा था। इसके िलए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नागपुर में शुरुआती चरण में 200 इलेक्ट्रिक कारें लॉन्च की गईं, लेकिन सस्ती सवारी और चालकों को अच्छी कमाई के दावे जमीनी हकीकत में बदलते नजर आने लगे हैं। यही वजह है कि अब 200 से हजार इलेक्ट्रिक कैबों को लाने के सपने पर पानी इलेक्ट्रिक टैक्सी लौटानेवाले ड्राइवर फेरते दिखाई दे रहे हैं।
रोजी निकालने के लिए 16 घंटे काम
इलेक्ट्रिक कार चलानेवाले ड्राइवरों ने नाम न देने की शर्त पर बताया कि इलेक्ट्रिक कार उनके लिए किफायती नहीं साबित हो रही है। इसके पीछे कई वजहें हैं। प्रतिदिन तकरीबन हजार रुपए कम्पनी को कार किराया के रूप में देने पड़ते हैं। फुल चार्जिंग के 400 रुपए से अधिक चार्जिंग स्टेशन में चुकाने पड़ते हैं। परियोजना शुरू करने समय पहले फुल चार्जिंग 100 रुपए में की जाती थी, लेकिन बाद में इसे चर्जिंग प्रतिशत की दर से वसूला जाने लगा। उसने बताया कि सवारी के किराए में बहुत ज्यादा फर्क नहीं। लिहाजा इलेक्ट्रिक कार की तीन सीटर व्यवस्था देखकर ग्राहक सवारी रद्द कर देता है। उसमें बैठने से इनकार कर देता है। सवारी को इसमें बैठने के लिए परामर्श भी करना पड़ता है। उसमें भी समय जाता है।
खतरनाक खामोशी
बता दें कि इलेक्ट्रिक कार चलानेवाले ड्राइवरों से कम्पनी कुछ इस तरह से डील करती है कि वे सार्वजनकि तौर पर अपनी परेशानियां बोलने तक से घबराते हैं। सिक्योरिटी डिपॉजिट के जब्त होने का खतरा उन्हें दिखाई देता है। मीडिया से बात तो करने से बिलकुल मनाही होने की बात भी ड्राइवर दबी जुबान में अपनी परेशानी बता रहे हैं।
मैनेजमेंट चुप
इलेक्ट्रिक कार संचालन करनेवाली कम्पनी इस बारे में खुलकर बात करने से कतराती रही। सुभाष नगर स्थित कम्पनी के कार्यालय में मैनेजमेंट के जिम्मेदार अधिकारी से खुलासा पाने के लिए काफी देर इंतजार करना पड़ा, फिर भी प्रतिसाद नहीं मिला।
धंधे के समय घंटों चार्जिंग की समस्या
शुरुआत में घोषणा की गई थी कि शहर में तकरीबन 50 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, लेकिन तकरीबन साल भर बीतने को है और तीन चार्जिंग स्टेशन से बात आगे नहीं बढ़ पाई है। लिहाजा प्रत्येक केंद्र में कार चार्ज करनेवालों की कतार लग जाती है। रात 10 बजे के बाद ये चार्जिंग स्टेशन बंद रखे जाने से रात में कारें चार्ज नहीं हो पातीं, जिससे दिन में धंधे के समय तीन से चार घंटे बैटरी चार्ज करते खाली हाथ बैठने पर ड्राइवरों को मजबूर होना पड़ता है। प्रत्यक्ष तौर पर इन कारों को चला रहे ड्राइवरों ने बताया कि एक बार फुल चार्ज करने पर कार पांच से छह सवारियों से अधिक का धंधा नहीं हो पाता, लिहाजा कम्पनी के किराए समेत चार्जिंग की लागत आदि निकालकर 200 से 500 की कमाई करने के लिए उन्हें 16 घंटे सवारियां ढोनी पड़ती हैं।
Created On :   27 March 2018 5:23 PM IST