सिंचाई घोटाला: जमानत अर्जी पर सरकार ने जताई आपत्ति

court adjourned hearing on the latest charge sheet in irrigation scam till Monday
सिंचाई घोटाला: जमानत अर्जी पर सरकार ने जताई आपत्ति
सिंचाई घोटाला: जमानत अर्जी पर सरकार ने जताई आपत्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सिंचाई घोटाले के आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिका पर सरकार ने आपत्ति जताई है। भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले में 9 जनवरी को 12 आरोपियों के खिलाफ करीब 4500 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इस मामले में राहत प्राप्त करने के लिए 8 आरोपियों ने नागपुर सत्र न्यायालय में जमानत याचिका दायर की है। जमानत दायर करने वाले आरोपियों में आर. जे. शाह प्राइवेट लिमिटेड और डी. ठक्कर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कालिंदी शाह, तेजस्विनी शाह, विशाल ठक्कर, प्रवीण ठक्कर, जिगर ठक्कर, अरुण गुप्ता, विदर्भ इरिगेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (वीआईडीसी) के कार्यकारी अभियंता उमाशंकर पर्वते का समावेश है। गुरुवार को इस मामले मंे हुई सुनवाई में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी अधिवक्ता नितीन तेलगोटे ने आरोपियों की जमानत अर्जी पर आपत्ति जताई। उन्होंने दलील दी कि अब तक अर्जदारों में से किसी भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है, न ही उन्होंने समर्पण किया है। ऐसे में तकनीकी तौर पर यह जमानत अर्जी ही गलत है। मामले में कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई रखी है।
ये हैं आरोपी 
एसीबी ने चार्जशीट में वीआईडीसी के मुख्य अभियंता सोपान सूर्यवंशी, कार्यकारी अभियंता उमाशंकर पर्वते, विभागीय लेखा अधिकारी चंदन जीभकाटे, कार्यकारी संचालक देवेंद्र शिरके, अधीक्षक अभियंता दिलीप पोहेकर और आर. जे. शाह प्राइवेट लिमिटेड और डी. ठक्कर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कालिंदी शाह, तेजस्विनी शाह, विशाल ठक्कर, प्रवीण ठक्कर, जिगर ठक्कर, अरुण गुप्ता और रमेश कुमार सोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम कलम 13(1)(क)(ड), 13(2), भादंवि की धारा 20, 467, 468, 471, 109, 120(ब) के तहत अपराध दर्ज कर न्यायालय में चार्जशीट प्रस्तुत की है।  सिंचाई परियोजना के तहत बन रहे मोखाबर्डी लिफ्ट सिंचाई प्रकल्प के बैक टेल कैनल के निर्माणकार्य में बड़ी हेराफेरी पाई गई। आर.जे. शाह कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठक्कर कंस्ट्रक्शन कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए वीआईडीसी के अधिकारियों ने नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाईं। 51 करोड़ 9 लाख 57 हजार 984 रुपए के कामकाज का ठेका दोनों कंपनियों को दिया गया। इसमें वीआईडीसी के अधिकारियों ने कई शर्तों का उल्लंघन किया। सदर पुलिस थाने में दर्ज इस मामले की जांच एसीबी कर रही थी। जांच के बाद एसीबी ने न्यायालय में यह रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

Created On :   12 Jan 2018 11:23 AM IST

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