कोर्ट ने कहा- आधार नहीं है नागरिकता का प्रमाण, बांग्लादेशी महिला को एक साल की सजा 

Court said- Aadhaar is not proof of citizenship, Bangladeshi woman sentenced to one year
कोर्ट ने कहा- आधार नहीं है नागरिकता का प्रमाण, बांग्लादेशी महिला को एक साल की सजा 
कोर्ट ने कहा- आधार नहीं है नागरिकता का प्रमाण, बांग्लादेशी महिला को एक साल की सजा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एक स्थानीय अदालत ने आधारकार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानने से इंकार करते हुए एक 35 वर्षीय बांग्लादेशी महिला को 1 साल के कारावास की सजा सुनाई है। महानगर के उपनगरीय इलाके दहिसर में रहने वाली आरोपी ज्योति गाजी उर्फ तस्लीमा रबाऊल पर अवैध रुप से भारत में प्रवेश करने व रहने का आरोप था। मैजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने आरोपी महिला ने दावा किया था कि वह मूल रुप से पश्चिम बंगाल की है और 15 साल पहले मुंबई आयी थी। उसके पास आधारकार्ड भी है। पुलिस ने जून 2009 में गुप्त सूचना के आधार पर की गई छापेमारी की कार्रवाई के दौरान आरोपी महिला को पकड़ा था। इस दौरान महिला अपनी नागरिकता को लेकर संतोषजनक उत्तर नहीं दे पायी थी और न ही दस्तावेज पेश कर पायी थी। इसलिए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद मैजिस्ट्रेट ने पाया कि आरोपी महिला बांग्लादेश की है और उसका वैध पासपोर्ट भी नहीं है। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद मैजिस्ट्रेट ने कहा कि आधाराकार्ड, पैन कार्ड व बिक्री अनुबंध को नागरिकता का प्रमाण नहीं मान सकते। नागरिकता को साबित करने के लिए जन्म तारीख व  जन्म स्थान का प्रमाण, माता-पिता के जन्म स्थान के प्रमाण की जरुरत होती है। कई बार इस मामले में पूर्वजों के जन्म स्थान का सबूत भी प्रासंगिक होता है। हम इस मामले में आरोपी महिला के प्रति नरमी नहीं दिखा सकते। यह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी घातक हो सकता है। इसलिए पुलिस आरोपी महिला की सजा पूरी होने के बाद उसे उसके देश रवाना करे। क्योंकि विदेशी के अवैध रुप के यहां रहने से यहां के नागरिकों के अधिकार प्रभावित होते है। यह कहते हुए मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी महिला को दोषी ठहराते हुए 1 साल के कारावास की सजा सुनाई। 
 

Created On :   14 Dec 2019 7:28 PM IST

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