बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिता कर सहज वातावरण बनाएं - सुमत प्रकाश

Create a comfortable environment by spending more time with children sumat prakash
बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिता कर सहज वातावरण बनाएं - सुमत प्रकाश
बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिता कर सहज वातावरण बनाएं - सुमत प्रकाश

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और सहज वातावरण तैयार करें कि वे आपसे अच्छे और बुरे कार्यों को खुलकर बता सकें। यह बात बाल ब्रह्मचारी पं. सुमत प्रकाश ने एम्प्रेस सिटी स्थित श्री महावीर जिनालय में चल रहे पालक-बालक संस्कार शिविर में कही। उन्होंने कहा कि आज युवा अपनी सामाजिक संस्कृति, सभ्यता, जिम्मेदारी, नैतिकता से दूर हो पाश्चात्य संस्कृति, सभ्यता की चकाचौंध में गुम होते जा रहे हैं। कोई भी कार्य जब बिना सोचे-समझे, विवेकहीन होकर दिखावे के लिए किया जाए, तो उसके परिणाम स्वयं ही नहीं, समाज और देश के लिए भी खतरनाक और दु:खदायी होते हैं। ऐसे समय माता-पिता एवं बच्चों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चे विश्वास देखकर ही विश्वास करते हैं। अपने विवेक को जागृत रखकर उन पर प्रारंभ से विश्वास करें, उनके द्वारा किए गए कार्य के लिए उन्हें सबसे पहले शाबाशी दो, उत्साहित करो, बाद में धैर्य से गलतियां बताओ, लेकिन सुधार के साथ। उसकी योग्यता को परीक्षा में उत्तीर्ण हुए प्रतिशत से नहीं, बल्कि उसकी काबिलियत से पहचानो।

आदर्श विद्यार्थी हमेशा सीखते रहता है 

आदर्श विद्यार्थी वह है जो जीवन के अंतिम समय तक सीखने को तैयार रहे। विद्यार्थी हर पल सीखता है-प्रकृति, मित्रों-पड़ोंसियों, घर-परिवार, पशु-पक्षियों आदि से। बस उसका उत्साह कायम रहना चाहिए। स्कूल जाने वाला बच्चा ही विद्यार्थी है यह सोच ही गलत है। युवाओं का नैतिक धन- सेवा, समता, करुणा, सहयोग, समझ, सहजता, उत्साह, सत्यता, धैर्य, आत्मविश्वास, कार्यकुशलता,साहस, आदरभाव हैं। अगर आप में ये नहीं है, तो प्रतिशत आपको नौकरी या नौकरी में स्थिरता भी नहीं दिला सकते। इन सारे गुणों की शिक्षा  विद्यालय नहीं देता, आप स्वयं अर्जित करते हैं। इसमें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म वह धर्म है जहां शत्रु नहीं बनाते, बल्कि दिल जीतते हैं-अपने व्यवहार और आचरण से। हमें घरों या बाहर में लगे कैमरों से नहीं, अपने कर्मों से डरना चाहिए। डॉ. विमला जैन का कहना है कि एेसे विभिन्न ज्वलंत समस्याओं का सामना हम कैसे करें, भटके हुए बच्चों -युवाओं को कैसे संभाले आदि विषयों पर सभी वर्गों के जिज्ञासुओं के लिए यह शिविर चल रहा है। शिविर में जात-पात का कोई भेदभाव नहीं है। सुबह 8 से 9 बजे तक और रात 9 से 10 बजे तक शिविर का लाभ उठा सक्ते हैं।

Created On :   22 Nov 2019 10:28 AM IST

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