जानवरों को भी नसीब होगा श्मशान : बनाया जाएगा दहनघाट

Cremation ground will be made for dead animals in Nagpur
जानवरों को भी नसीब होगा श्मशान : बनाया जाएगा दहनघाट
जानवरों को भी नसीब होगा श्मशान : बनाया जाएगा दहनघाट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में अब जानवरों का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। पहले मृत जानवरों को दफना दिया जाता था लेकिन अब इनके लिए दहनघाट बनाया जाएगा। इसके लिए भांडेवाड़ी में जमीन की खोज पूरी कर ली गई है। 1800 वर्ग मीटर में बनने वाला यह दहनघाट पूरी तरह से पर्यावरण परक होगा। इसके निर्माण पर 3.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। दो सप्ताह के भीतर इसके लिए टेंडर प्रक्रिया होगी और उम्मीद है कि दो महीने के अंदर इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएगा। वर्ष 2016 में जानवरों की दहनभूमि का प्रस्ताव बनाया गया था। इस प्रस्ताव को स्थायी समिति ने मंजूरी दी। मनपा आयुक्त ने भी इसे हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। वर्ष 2017 में सरकार ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। राज्य में मृत जानवरों की आधुनिक दहनघाट दो शहरों में होने की जानकारी है। इसमें एक शहर पुणे और दूसरा नाशिक है। इसके बाद नागपुर का नंबर लगेगा। महानगर पालिका के इतिहास में एक अध्याय जुड़ने जा रहा है। लोगों के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं है। मनपा पहली बार शहर में एक ऐसा आधुनिक दहनघाट बनाने जा रही है, जो इंसानों के लिए नहीं बल्कि मृत जानवरों के लिए होगा। इसके लिए आवश्यक मंजूरी मनपा को मिल चुकी है। जमीन तय कर ली गई है। स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत इसके लिए निधि भी मुहैया करायी जा चुकी है। अगले दो सप्ताह के भीतर इसके लिए टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। इसके लिए भांडेवाड़ी की 1800 वर्ग मीटर जमीन पर इसका निर्माण किया जाएगा। दहनघाट के निर्माण व बिजली पर चलनेवाली इन्सिनिरेटर मशीन (दहन मशीन) पर कुल 3.50 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पर्यावरण परक इस दहनघाट का निर्माण होने पर मृत जानवरों को दफनाया नहीं जाएगा, बल्कि मशीन के माध्यम से उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। आगामी दो महीने में निर्माणकार्य शुरू होने की संभावना है।

दफनाने के लिए भांडेवाड़ी में लाए जाते

हर दिन 40 जानवर मृत पाए जाते हैं। यह आंकड़ा कनक रिसोर्सेस कंपनी के अनुमान के आधार पर है। इनमें से कुछ पालतू भी जानवर होते हैं। उनके मालिक दफनाने के लिए भांडेवाड़ी में लाते हैं। बाकी के जानवर सड़कों और कचराघर के आसपास मृत पाए जाते हैं। ऐसे जानवरों को कचरे के साथ उठाकर डंपिंग यार्ड लाया जाता है। बाद में उन्हें भांडेवाड़ी में जो गड्ढा मिला उसमें दफना दिया जाता है। पशुचिकित्सा विभाग के अनुसार अब भांडेवाड़ी में दफनाने के लिए भी जगह नहीं बची है। हर रोज 30 से 40 गड्ढे जेसीबी से खोदने पड़ते हैं। जानवरों को दफनाने के बाद उन्हें पाटना पड़ता है। बरसात के दिनों में यह काम और भी मुश्किल हो जाता है। कई बार जानवरों को दफनाने के बाद बारिश होने पर मिट्टी बह जाती है। यहां जमीन में धंस जाती है। ऐसे मृत जानवरों के अंग दिखायी देने लगते हैं। बाद में कुत्ते उन पर झपटना शुरू कर देते हैं। ऐसा कई बार होता है। इससे परिसर में बदबू फैल जाती है। संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आधुनिक दहनघाट आवश्यक है।

इस तरह आया खयाल

मृत जानवरों के आधुनिक दहनघाट में दो करोड़ की मशीन लगायी जाने वाली है। यह मशीन बिजली से चलेगी। मशीन की क्षमता 500 किलो प्रति घंटा होगी। टेंडर प्रक्रिया के बाद जिस ठेकेदार को दहनघाट निर्माण का काम दिया जाएगा, उसे ही मशीन लगानी होगी। ठेका कंपनी को मशीन के इंस्टालेशन के बाद एक साल तक इसकी देखभाल, मरम्मत आदि करनी होगी। लगायी जाने वाली दहन मशीन की विशेषज्ञों द्वारा जांच-पड़ताल की जाएगी। सभी मानकों पर खरी उतरने के बाद ही मशीन लगेगी। दहनघाट निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी को मनपा के नियम अनुसार काम करना होगा। सबसे पहले जमीन समतल की जाएगी। इसके बाद सिविल कन्स्ट्रक्शन होगा। इसका नक्शा बनकर तैयार किया गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक यह नक्शा किसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता। घाट परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा यहां स्टोर रूम, बिजली, पानी व अन्य आवश्यक छोटी-मोटी सुविधाएं होंगी। मशीन संचालन के लिए ऑपरेटर ठेका कंपनी का होगा। अन्य कर्मचारी मनपा के होंगे।

 

Created On :   14 July 2019 5:54 PM IST

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