शव को जाति के चलते हिरासत में रखा तो ही एससी-एसटी कानून के तहत अपराध

Crime under SC-ST Act only if the dead body is kept in custody due to caste
शव को जाति के चलते हिरासत में रखा तो ही एससी-एसटी कानून के तहत अपराध
हाईकोर्ट शव को जाति के चलते हिरासत में रखा तो ही एससी-एसटी कानून के तहत अपराध

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि अनुसूचित जाति से जुड़े व्यक्ति के शव को सिर्फ उसकी जाति के चलते हिरासत में रखा जाता है तो ही एसटी-एसी कानून के तहत आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है। यदि यह स्थिति नजर नहीं आती तो आरोपी के खिलाफ एससी-एसटी कानून के तहत मामला नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने एक अस्पताल के कर्मचारियों को अग्रिम जमानत देते हुए यह बात स्पष्ट की है। अस्पताल के कर्मचारियों पर अनुसूचित समुदाय के एक मरीज के शव को हिरासत में रखने का आरोप था। निचली अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। ऐसे में मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए चार आरोपियों ने आरोपियों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था। 

न्यायमूर्ति एसके शिंदे ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि मरीज के शव को इसलिए अस्पताल ने अपने पास रखा था क्योंकि मरीज के परिजनों ने अस्पताल के बकाया बिल का भुगतान नहीं किया था। जिसकों लेकर विवाद हुआ था। न्यायमूर्ति ने आदेश में कहा कि  प्रथम दृष्टया सिर्फ शव को हिरासत में रखना एस-एसटी कानून 1989 के तहत  अपने आप में अपराध नहीं बनता है। नियमानुसार इस कानून के तहत तभी अपराध बनता है जब यह दर्शाया जाए कि अस्पताल ने शव को सिर्फ इसलिए अपनी हिरासत में रखा था क्योंकि मृतक अनुसूचित जाति का था। 

दरअसल सागली स्थित प्रकाश अस्पताल में भर्ती एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई थी। इसके बाद मरीज के परिजनों को अस्पताल का बकाया बिल का भुगतान कर शव लेने के लिए कहा गया। लेकिन आरोपियों के परिजनों ने अस्पताल पर अधिक पैसे लेने का आरोप लगाया और दावा किया कि अस्पताल ने उन्हें अपमानित किया है। और शव को अपनी हिरासत में रखा है। पुलिस ने इस मामले को लेकर अस्पताल के कर्मचारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406,420,420, 188,297,34 व एस-एसटी कानून की धारा 3(1आर) व तीन (एक-एस) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। चूंकि निचली अदालत ने आरोपी इंद्रजीत पाटील सहित अन्य लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसिलए आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था। जहां से उन्हें राहत मिली है।
 

Created On :   18 Oct 2021 4:56 PM GMT

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