- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- न्यापालिका के सामने विश्वसनीयता का...
न्यापालिका के सामने विश्वसनीयता का संकट, प्रलंबित मामलों की संख्या शीघ्रता से करें कम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय ओक ने कहा है कि वर्तमान में न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है। इसलिए कानूनी पेशे से जुड़े लोगों यह सुनिश्चित करें कि कोरोना के चलते बढ़े प्रलंबित मामलों की संख्या को शीघ्रता से कम किया जाए। ओक ने ठाणे जिला न्यायालय बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान उपरोक्त बात कही। पिछले दिनों ओक को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्ति किया गया है। लिहाजा उनके सम्मान में बार एसोसिएशन की ओर से समारोह का आयोजन किया गया था।
समारोह के दौरान ओक ने कहा कि मौजूदा दौर में न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट से जुड़ी चुनौती का सामना कर रही है। इसलिए यदि कोरोना की तीसरी लहर भी दस्तक देती है तो भी न्यायिक अधिकारियों व वकीलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानूनी कार्य बिना किसी व्यावधान के जारी रहे और लोगों को न्याय मिले। प्रसंगवश श्री ओक ने कर्नाटक हाईकोर्ट का उदाहरण दिया।जहां न्यायाधीशों ने कोरोना के चलते बढे प्रलंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए 11 शनिवार को काम करने का निर्णय किया। यह तरीका दूसरी अदालतों को भी अपनाना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने न्यायाधीशों की संख्या बढाने पर भी जोर दिया।जिससे न्यायाधीश व नागरिकों की संख्या के अनुपात को बढाया जा सके। ओक ने 1983 में ठाणे कोर्ट से वकालत शुरु की थी। इसके बाद वे साल 2003 में हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने थे। फिर साल 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इस साल अगस्त 2021 में ओक को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
Created On :   12 Oct 2021 9:37 PM IST