कंटेनमेंट जोन में सीआरपीएफ की महिला कमांडो ने संभाला मोर्चा, जानिए दो बहने किस तरह मुंबई से लौटीं

CRPF women commandos took over in Containment Zone
कंटेनमेंट जोन में सीआरपीएफ की महिला कमांडो ने संभाला मोर्चा, जानिए दो बहने किस तरह मुंबई से लौटीं
कंटेनमेंट जोन में सीआरपीएफ की महिला कमांडो ने संभाला मोर्चा, जानिए दो बहने किस तरह मुंबई से लौटीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन बंदोबस्त में लंबे समय से तैनात पुलिसकर्मियों की मदद के लिए केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) की  महिला बटालियन को तैनात किया गया है। बटालियन में 84 महिला कमांडो हैं। सभी को शहर के कंटेनमेंट जोन (प्रतिबंधित क्षेत्र) में तैनात किया गया है। पुलिस परिमंडल-2 में दो  सेक्शन  बनाए गए हैं। इसके तहत सदर और पांढराबोड़ी (अंबाझरी) क्षेत्र में प्रत्येक जगह के लिए सीआरपीएफ की 1 अधिकारी व 7 महिला कमांडो, परिमंडल-3 अंतर्गत लकड़गंज और तहसील में (प्रत्येक क्षेत्र)  2 अधिकारी और 15 महिला कमांडो और  परिमंडल-4 अजनी क्षेत्र में 2 अधिकारी और 15 महिला कमांडो तैनाती की गईं हैं। परिमंडल-5 के एक सेक्शन को यशोधरा नगर में तैनात किया गया है। इसमें 1 अधिकारी और 7 महिला कमांडो शामिल हैं। इन महिला कमांडो को संबंधित क्षेत्र के थानों के अंतर्गत आने वाले हॉट स्पॉट क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखने का आदेश दिया गया है। विशेष शाखा पुलिस विभाग की पुलिस उपायुक्त श्वेता खेड़कर ने बताया कि, सीआरपीएफ की महिला बटालियन की कमांडेंट सहित 84 महिला कमांडों को शहर के प्रतिबंधित क्षेत्रों में तैनात किया गया है। बटालियन को परिमंडल-2, 3, 4 व 5 में विभाजित कर तैनात किया गया है। महिला कमांडो की शहर के सतरंजीपुरा, मोमिनुपरा, शांति नगर, जवाहर नगर, पार्वती नगर, शताब्दी चौक, संतोष नगर, राजीव नगर, टिमकी, पांढराबोड़ी, गड्डी गोदाम, गौतम नगर, बजरिया, मानकापुर आदि कंटेनमेंट  जोन में तैनाती की गई है। पांढराबोड़ी, गड्डीगोदाम, मानकापुर और शांति नगर में महिला कमांडो ने शनिवार को दोपहर में मोर्चा संभाल लिया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में शेष महिला कमांडो भेजने की तैयारी शुरू है।  

रामनगर को प्रतिबंध से मुक्त करने सड़क पर उतरे लोग

उधर प्रतिबंधित क्षेत्र रामनगर व पांढराबोडी खोलने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक विकास ठाकरे की अगुवाई में रामनगर के लोग शनिवार को सड़क पर उतरे। एरिया में कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं होने के बावजूद एरिया सील करने का लोग विरोध कर रहे थे। विधायक ठाकरे ने आरोप लगाया कि मनपा आयुक्त की मनमानी से लोगों को परेशानी हो रही है। विधायक ठाकरे ने कहा कि ट्रस्ट ले-आउट पांढराबोडी के एक व्यक्ति को 5 मई को अस्पताल में भर्ती किया गया। 7 मई को उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई आैर 12 मई को उसकी मृत्यु हुई। मृतक के परिवार के सभी सदस्यों की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई। रामनगर व पांढराबोडी में अभी कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं है, फिर भी मनपा ने पूरे एरिया को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर सील कर दिया। 22 मई को एरिया खोलने के लिए कहा गया था, लेकिन नहीं खोला गया। मनपा आयुक्त स्थानीय लोगों की बात सुनने को भी तैयार नहीं हैं। ऐसे में लोगों को विरोध जताने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा। 

बाबा फरीदनगर में यहां कोई पॉजिटिव नहीं, इसलिए न मानें प्रतिबंधित क्षेत्र

बाबा फरीदनगर की बात करें तो वहां लोग प्रशासन की छोटी सी गलती का खामियाजा भुगत रहे हैं। जिस एरिया में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला है, उसी एरिया को सील कर दिया है। इससे रोज कमाकर खाने वालांे के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। बस्ती के लोगों का कहना है कि हमने प्रशासन का सहयोग किया और प्रशासन हमलोगों को घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया है। मोमिनपुरा के एक बुजुर्ग ने 9 मई की रात बाबा फरीदनगर खरबी पहुंचकर एक खाली मकान में रात बिताई। सुबह दिखाई देने पर बस्ती के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। 10 मई को वाठोड़ा पुलिस ने उसे मेडिकल अस्पताल भर्ती किया। 14 मई को उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। 15 मई को नागपुर ग्रामीण के एसडीआे आैर तहसीलदार मोहन टिकले के आदेश पर उस एरिया को बहादुरा ग्राम पंचायत ने सील कर दिया गया। बुजुर्ग जिस मकान में सोया था, उसके समीप रहनेवाले 4 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करके तीन जगह पुलिस बैठा दी गई। पिछले 8 दिन से एरिया के लोगों का बाहर निकलना बंद है। मजदूरी करके जीवनयापन करनेवाल परेशान हैं। अनाज, किराना या जरूरत के सामानों के लिए ये लोग तरस रहे हैं। तहसीलदार मोहन टिकले के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग बाबा फरीदनगर में मिला था, वहां यहां आकर रहा था। इसलिए इस एरिया को 14 दिन के लिए सील किया गया है।

दो बहनें एक्टिवा से मुंबई से नागपुर पहुंचीं, कॉलोनी में अटकीं 

वहीं लॉकडाउन में शहर के कामगार कॉलोनी में रहने वाली दो बहनें प्रणाली और अंजलि वानखेड़े ने मुंबई से नागपुर लगभग 800 किलोमीटर की यात्रा एक्टिवा से पूरी की। दोनों मुंबई में फंस गईं थीं। प्रणाली ने रास्ते के अनुभव को साझा किया। प्रणाली ने बताया-मैं पुणे में रहती हूं। एमटेक किया है। मेरी बहन अंजलि पनवेल में रहकर बीसीए कर रही हैं। मेरा 22 मार्च को मुंबई में एग्जाम था। इसलिए 16 मार्च को ही अपनी एक्टिवा से मुंबई पहुंच गई। फिर अचानक लॉकडाउन हो गया। वहां से नागपुर आने का कोई उपाय न देख, दोनों ने तय कि एक्टिवा से ही नागपुर जाएंगे। इसलिए सबसे पहले मेडिकल कराया। फिर ई-पास बनवाया। 16 मई को सुबह 4.30 बजे मुंबई से रवाना हो गए। सुबह 10.30 बजे औरंगाबाद पहुंचे। वहां एक दुकान के पास बैठे ही थे कि अंजलि को चक्कर आया। नजदीक के अस्पताल में लेकर गई, तो डॉक्टर ने सलाइन लगाने की सलाह दी। इसके बाद 4.30 बजे शाम में हम वहां से निकले। जालना पहुंचकर रेस्ट किया। रात 11 बजे बुलढाणा पहुंचे। एक घंटा आराम करने के बाद 17 मई को सुबह 4.30 बजे वाशिम पहुंचे। फिर वर्धा मार्ग होते हुए 17 मई को दोपहर 1 बजे खापरी पहुंच गए। वहां पर अधिकारियों को मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाया। फिर हमें 3.30 बजे घर आने की इजाजत मिली।

मंजर देख आंखें भर आईं 

प्रणाली ने बताया कि रास्ते में कई ऐसे लोग पैदल नजर आए, जिनके पैरों में चप्पल नहीं थी। आंखें भर आईं। रास्ते में कई सामाजिक संस्थाएं लोगों की मदद करती दिखीं। कोई खाना बांट रहा था, तो कई मास्क और कोई सैनिटाइजर। प्रणाली ने बताया कि जब खापरी से हम कामगार कॉलोनी पहुंचे, तो लोगो ने कॉलोनी के अंदर नहीं आने दिया। हमने बताया कि हमारे पास मेडिकल सर्टिफिकेट हैं। खापरी में भी हमने जानकारी दी है। जब वे नहीं माने, तो हमने पुलिस थाने में फोन किया। पुलिस स्टेशन जाकर पेपर्स दिखाए। पुलिस स्टेशन से मनपा को जानकारी दी गई। इसके बाद हमें ‘होम क्वारेंटाइन’ होने के लिए बोला गया। रोज मनपा से फोन आता है और तबीयत के बारे में पूछी जाती है। सर्दी, खांसी, बुखार होने पर संपर्क करने की ताकीद की जाती है। 
 

Created On :   24 May 2020 6:15 PM IST

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