हाईकोर्ट : कस्टम ने रोकी अमेरिका से आई फीडिंग ट्यूब तो मांगा जवाब, जेलों की बुरी हालत दर्शाती है सरकार का खराब कामकाज

Custom stopped the feeding tube from America, High Court sought an answer
हाईकोर्ट : कस्टम ने रोकी अमेरिका से आई फीडिंग ट्यूब तो मांगा जवाब, जेलों की बुरी हालत दर्शाती है सरकार का खराब कामकाज
हाईकोर्ट : कस्टम ने रोकी अमेरिका से आई फीडिंग ट्यूब तो मांगा जवाब, जेलों की बुरी हालत दर्शाती है सरकार का खराब कामकाज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भोजन ग्रहण करने के लिए अमेरिका से मंगाई गई फीडिंग ट्यूब को रोकने वाले कस्टम विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। सर्जरी के बाद मुख के कैंसर को मात देनेवाले समीर पटेल ने यूएस से कोरियर एजेंसी से फीडिंग ट्यूब के चार बॉक्स मंगाए थे। ताकि वे अपने लिए जरुरी पोषक आहार लें सके। यह ट्यूब वहीं मिलता है, इसलिए उन्होंने उसे वहां से मंगवाया था, वेकिन सहार एयरपोर्ट पर एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स के एक सहायक कस्टम आयुक्त ने इस पैकेट को रोक लिया है। अब उनके पास फीडिंग ट्यूब का बहुत स्टॉक भी नहीं बचा है। इससे उन्हें अपना पोषक आहार लेने में परेशानी हो सकती है। लिहाजा उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति एस जे कथावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आखिर कस्टम अधिकारी फीडिंग ट्यूब के पैकेट क्यों रोक रखी है? आखिर अधिकारी के सामने कौन सी मुश्किल थी। इस विषय पर हमें अगली सुनवाई के दौरान  स्पष्टीकरण दिया जाए। खंडपीठ ने गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई रखी हैं। 

जेलों की बुरी दशा दर्शाती है, सरकार का खराब कामकाज

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना के मद्देनजर जेल की स्थिति सरकार के खराब कामकाज को दर्शाती है। जेल को लेकर पेश की गई एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार अगली सुनवाई के दौरान हमे बताए कि राज्य की जेलो में कितने सजायाफ्ता कैदी हैं, कितने विचाराधीन कैदी हैं, और कितने 60 साल से ज्यादा उम्र के कैदी हैं। क्या ये कैदी किसी बीमारी से पीड़ित हैं। कितने कैदियों को  सुधार गृह में रखा गया है। इसका खुलासा भी हलफनामे में किया जाए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने पीपल यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त जानकारी मांगी। इस दौरान खंडपीठ ने पाया कि अभी भी 1342 कैदियों के आवेदन निचली अदालत में अंशकालिक जमानत सुनवाई के लिए प्रलंबित हैं। खंडपीठ ने निचली अदालतों को शीघ्रता से इन आवेदनों पर सुनवाई पूरी करने को कहा है। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि कैदियों की जांच तेजी से नहीं हो रही हैं। इससे पहले जेल महानिरीक्षक की ओर से जेल की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट पेश की गई। जिसको देखकर खंडपीठ ने कहा कि यह सरकार के खराब कामकाज को दर्शाता है। खंडपीठ ने याचिका पर 19 जून को अगली सुनवाई रखी है। 


 

Created On :   17 Jun 2020 2:28 PM GMT

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