'दैनिक भास्कर' का नागपुर में 15 साल का सफर, छोड़ी अमिट छाप

Dainik Bhaskar completes 15 years journey in Nagpur
'दैनिक भास्कर' का नागपुर में 15 साल का सफर, छोड़ी अमिट छाप
'दैनिक भास्कर' का नागपुर में 15 साल का सफर, छोड़ी अमिट छाप

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  उपराजधानी में दैनिक भास्कर ने 15 वर्ष का सफर पूरा किया या यूं कहें  देखते ही देखते ये डेढ़ दशक निकल गए। वैसे तो ‘प्रहरी’ के रूप में दैनिक भास्कर ने समाज के कोने-कोने पर पैनी नजर रखी। कोई भी महत्वपूर्ण कड़ी न छूटे, इसलिए पग-पग पर आपका साथ लिया। समाज से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से उठाया और  मुकाम तक पहुंचाया भी। मुहिम चलाकर लोगों को जोड़ने की कोशिश की। अनेकों उदाहरण हैं। कुछ अनुकरणीय, कुछ विचारणीय। पाठकों का स्नेह इसमें साफ झलकता है और यही विश्वास की डोर को मजबूत करता है। सजग ‘प्रहरी’ की हमारी भूमिका सतत् जारी है। ‘वचनपूर्ति’ सोलहवें साल में प्रवेश कर रहा है, तो तय है कि इसकी धार और पैनी होगी। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे बतौर ‘यादें’ आज भी मानस-पटल पर अमिट छाप की तरह अंकित हैं जिसे हम पेश कर रहे हैं।

गुटखा पर प्रतिबंध, भास्कर का अभियान रंग लाया

वर्ष 2012 की बात है। महाराष्ट्र में गुटखा और पान-मसाले की बिक्री पर पाबंदी लगाने संबंधी प्रस्ताव पेश तो हुआ, मगर उसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। 11 जून 2012 को राज्य के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने ऐलान किया कि महाराष्ट्र में जल्द ही गुटखा और पान मसाला की बिक्री पर पाबंदी लग जाएगी। देखते ही देखते 10 दिन निकल गए, और तब दैनिक भास्कर ने अभियान के माध्यम से जन की आवाज सरकार तक पहुंचाने का मानस बनाया। 23 जून 2012 को शहर के धर्मगुरुओं ने भी आह्वान किया- गुटखा : अभी नहीं, कभी नहीं। इसके बाद तंबाकू और तंबाकूजन्य पदार्थों के सेवन के वीभत्स परिणामों को एक-एक कर भुक्तभोगियों को सूत्रधार बनाकर पेश किया गया। सावधान करने विभिन्न विशेषज्ञों ने अपील भी की। अभियान : तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री अनिल देशमुख ने दैनिक भास्कर को दी सदिच्छा भेंट में कैल्शियम कार्बोनेट युक्त तंबाकूजन्य पदार्थों के प्रतिबंध की उम्मीद जताई। आशा की किरण दिखी। दैनिक भास्कर ने शहरवासियों से रायशुमारी की। लगभग सभी दलों के नेताओं ने पुरजोर समर्थन किया।  छात्र-अभिभावक और सामाजिक संगठन से जुड़े लोग धीरे-धीरे ‘भास्कर-अभियान’ के साथ खड़े होने लगे। इंफैक्ट : अभियान को अंतत: सफलता मिली। 12 जुलाई 2012 को प्रदेश में गुटखा और तंबाकूजन्य पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। यही नहीं, तब 7 प्रदेशों में भी इस अभियान का असर पड़ा। 

नारंगी रंग में रंगा शहर

मनपा ने किया था प्रस्ताव पारित : सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे और शहर को नई पहचान देने के लिए दैनिक भास्कर सदैव अग्रसर रहा है। इसी दिशा में भास्कर की एक अभिनव पहल ने शहर को नया रंग दिया। संतरानगरी को नारंगी रंग में रंगने में भास्कर ने मुख्य भूमिका निभाई। पहल को शहर का भी साथ मिला। मनपा ने हाथों-हाथ लिया। मनपा सभागृह प्रस्ताव पारित कर शहर के सभी शासकीय इमारत को नारंगी रंग देने का निर्णय लिया। आज शहर में मनपा की शालाएं और शौचालय नारंगी रंग में रंगे दिखते हैं। 
अभियान : वर्ष 2016 के फरवरी महीने में चलाए गए इस अभियान को अनेक सामाजिक संगठनों ने सहयोग किया। कई संगठनों ने अपने लेटरहेड और विजिटिंग कार्ड को नारंगी रंग का लुक दिया। मनपा भी अभियान में शामिल हुई।  
इंपैक्ट :  मनपा सभागृह में शासकीय इमारतों सहित शहर को नारंगी लुक देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। भाजपा, कांग्रेस, बसपा, शिवसेना, राकांपा समेत सभी पार्टियों ने इसे अपना समर्थन दिया।  

सउदी अरब से बीमार हाजी को लाने में मिली सफलता : हज यात्रा पर गए चंद्रपुर के हाजी बशीर शेख को सऊदी अरब स्थित जेद्दाह में ब्रेन हैमरेज हुआ। कोमा में चले गए। हाजी का बेटा अपने पिता के पास जाने के लिए टिकट और वीजा की व्यवस्था करने की मिन्नतें करता रहा, लेकिन हज कमेटी डेढ़ लाख रुपए खर्च करने के लिए तैयार नहीं थी।  हलचलें तेज : दैनिक भास्कर ने 18 नवंबर 2016 को बीमार हाजी बशीर शेख की दर्दभरी दास्तान प्रकाशित की। खबर का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर हुआ और  हज कमेटी को भी झुकना पड़ा। बीमार हाजी को 1 दिसंबर 2016 को सऊदी अरब से सऊदी एयरलाइंस मुंबई लाया गया।  बाद में हाजी को परिजन चंद्रपुर ले गए, जहां उनका इलाज चलता रहा। डेढ़ माह बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। 
शहनाज को अब खिलाड़ी होने पर नाज :  कोराड़ी रोड महादुला निवासी अंतरराष्ट्रीय महिला फुटबालर शहनाज हुसैन ने आर्थिक बदहाली के चलते पढ़ाई छोड़ दी थी। खेलने का क्रम जारी रखना चाहती थी पर सरकार ने मदद करने से किनारा कर लिया। साथ किसी भी संस्था ने नहीं दिया।   इंफैक्ट : शहनाज की दर्दभरी दास्तान से दैनिक भास्कर ने लोगों को अवगत कराया।   प्रो. घाटोले तथा प्रो. अनिल सारडा ने आसीनगर टेका नाका स्थित किदवई हाईस्कूल व कनिष्ठ महाविद्यालय के प्राचार्य जफर खान से शहनाज को रोजगार दिलाने का अनुरोध किया। जफर खान ने तुरंत शहनाज को फुटबाल कोच के रूप में रखने को मंजूरी दी। शहनाज आज फुटबाल कोच हैं।

Created On :   9 Dec 2017 1:45 PM IST

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